अल्मोड़ा
स्वच्छ सुरक्षित पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है, और ये स्वच्छ पर्यावरण यानि जहां हरे-भरे पेड़-पौधे हों... क्योंकि ये पेड़ हमारे परिवार के सदस्य की तरह हैं, जो हमें छाया, हवा, और पानी देते हैं, और हमें जीवन जीने के लिए आवश्यक चीजें प्रदान करते हैं। हमारे लिए हानिकारक कार्बन डाई ऑक्साइड को लेकर हमारे लिए जीवनदायिनी ऑक्सीजन देते हैं। साथ ही गर्मी को कम करने, बारिश को आकर्षित करने और हवा को शुद्ध करने में भी मदद करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि न मात्र पेड़ों की कटाई रुके, अपितु ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा के निवासी शिक्षक डीएल वर्मा ने इसके लिए सराहनीय काम कर रहे हैं। इस पहल से समाज को जोड़ने के लिए उन्होंने नई मुहिम शुरू की है, जिसका नाम है- 'मां के नाम एक पेड़'। अक्सर देखने को मिलता है कि लोग फोटो क्लिक करवाने के लिए पौधारोपण को बड़ी संख्या में कर देते हैं, लेकिन अनदेखी की अभाव में पौधे सूख कर खत्म हो जाते हैं। ऐसे में मुहिम को भावानात्मक नाम इसलिए दिया गया ताकि लोग पौधे लगाने के बाद परिवार की तरह देखभाल करें।
बताते चलें की राजकीय जूनियर हाईस्कूल मटेना के प्रधानाध्यापक डी.एल. वर्मा, जो राष्ट्रपति और तरुश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं, वो पिछले 17 वर्षो से “पौधा मेरे आंगन का” नाम से अभियान चला रहे हैं। इस साल उन्होंने बागेश्वर जिले के सेलखोला गांव को गोद लिया है। उन्होंने गांव के हर घर में जाकर लोगों को पेड़ बांटे। इनमें अनार, नींबू, माल्टा, आंवला, जामुन, अमरूद, संतरा, बुरांश और काफल जैसे 50 से ज्यादा पौधे शामिल थे। वर्मा जी ने स्वंय पौधे लगाए और लोगों को भी पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने की बात समझाई । आगे डी.एल. वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने “एक पेड़ मां के नाम” का जो संदेश दिया है, उसे हर गांव, हर घर तक पहुँचाना है। इस अभियान में शिक्षक ख्याली दत्त जोशी, संतोष वर्मा, पूर्व ग्राम प्रधान शकुंतला कांडपाल, गणेश दत्त कांडपाल, कांतीबल्लभ जोशी और पुष्पा फुलारा समेत कई लोग शामिल हुए। डी.एल. वर्मा जैसे शिक्षक हमारे समाज के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने यह दिखा दिया कि एक छोटा सा प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकता है।