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इतिहास

महिलाएं बनें राष्ट्र की धुरी- श्री गुरुजी का आह्वान

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 संघ संस्मरण 

संघ पर प्रतिबन्ध- समाप्ति के पश्चात् दिनांक 26.7.1949 को पुणे नगर की विविध महिला संस्थाओं द्वारा श्री गुरुजी के सम्मान में स्वागत समारोह आयोजित किया गया। अपने उत्तर में श्री गुरुजी कहते हैं, "अपने राष्ट्र की जीवनधारा अक्षुण्ण रखने का उत्तरदायित्व महिलाओं ने ही सम्भाला है और उसे उन्हें निभाना है। भारतीयत्व की उदात्त भावना, पावित्र्य, राष्ट्रजीवन की श्रेष्ठता केवल घर के अन्दर ही नहीं तो बाहर भी अपने आचरण द्वारा सिखाने का कार्य अपने आप हमें करना चाहिए, ऐसा मेरा विचार है। कला-कौशल, आनन्द, ऐहिक सुख समाधान आदि नव-नवीन कल्पनाएं आपके समक्ष होंगी, परन्तु अपनी संस्कृति के संवर्धन का कार्य अधिक महत्त्वपूर्ण है। "हम अपने इतिहास में स्त्रियों के महान पराक्रम की कथायें पढ़ते हैं। उच्चतम आदर्श सामने रखते हैं। आज के युग में भी ऐसे पराक्रम की घटनायें हुई हैं। डेढ़ दो वर्ष पूर्व पंजाब के दंगों में अपने पावित्र्य संरक्षण के लिए किया गया पराक्रम चित्तौड़ को पवित्र करने वाले जौहर से भी आगे बढ़ गया। अपने समाज जीवन का आदर्श न छोड़ने का दृढ़ निश्चय, जिसे उपहास से चौके-चूल्हे का जीवन कहते हैं, उसमें भी सम्भव है।"

।। श्री गुरूजी व्यक्तित्व एवं कृतित्व, डॉ. कृष्ण कुमार बवेजा, पृष्ठ – 127 ।।