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ऑपरेशन सिंदूर के सबसे नन्हें सिपाही से मिलिए

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फिरोजपुर, पंजाब 

सेना ने श्रवण को ‘ऑपरेशन सिंदूर का सबसे युवा नागरिक योद्धा’ का खिताब दिया, जो देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बन गया. यह सम्मान न सिर्फ श्रवण के लिए, बल्कि हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है, जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश की सेवा करना चाहता है.

यह बच्चा ऑपरेशन सिंदूर का सबसे बड़ा योद्धा है। 10 वर्ष के इस बच्चे को सैनिक भी सैल्यूट कर रहे हैं। पंजाब के फिरोजपुर जिले में सीमा से सटे इलाके गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज कर हे थे। ड्रोन की गड़गड़ाहट शोर मचा रही थी। और हर दिल में भय छिपा था। वहीं एक छोटा सा बालक श्रवण अपने नन्हे हाथों में पानी, दूध, लस्सी और बर्फ लेकर सैनिकों की डगर आसान बना रहा था। अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई। देश ने जवाब देने का संकल्प लिया और शुरू हुआ "ऑपरेशन सिंदूर"— हाल के वर्षों का सबसे बड़ा सैन्य अभियान। 7 मई 2025, तारा वाली गांव की सुबह गोलियों की निनाद से हुई। खेतों में बूटों की आहट थी, आकाश में फाइटर जेट्स की गरज और धरती पर हर कोई भयभीत। पर इसी अंधेरे में एक उजाला था-श्रवण सिंह, सिर्फ 10 साल का, पर हिम्मत में जवानों से दो कदम आगे।

सबसे छोटा योद्धा

श्रवण, किसान सोना सिंह का बेटा, तब घर पर नहीं बैठा। उसने न टोपी पहनी, न वर्दी—बस एक दिल था, जिसमें देश के लिए धड़कन थी। हर दिन वह तपती दोपहर में पानी की बाल्टी उठाए, दूध की बोतल थामे, लस्सी की सुराही लिए सीमा पर डटे जवानों तक पहुंचता। जब सैनिक थक जाते, श्रवण आता—हँसी के साथ, ताजगी के साथ। जब पसीना बहता, वह बर्फ देता, और जब मन उदास होता, वह उम्मीद देता। "मुझे डर नहीं लगा। सैनिक भैया मुझे प्यार करते हैं। मैं भी एक दिन उनके जैसा बनूंगा।" उसकी ये बातें सुन हर आँख नम हो गई। श्रवण की सेवा को देख भारतीय सेना ने उसे ‘ऑपरेशन सिंदूर का सबसे युवा नागरिक योद्धा’ घोषित किया। मेजर जनरल रंजीत सिंह मंराल ने एक भव्य समारोह में उसे सम्मानित किया—स्मृति चिन्ह, विशेष भोजन और उसकी सबसे प्रिय पदार्थ—आइसक्रीम! सेना के अधिकारी बोले, “श्रवण मात्र एक बच्चा नहीं, वो इस देश की आत्मा है—जो बिना हथियार लड़े, सैनिकों का हौसला बना।”इस नन्हे सिपाही की कहानी आज हर भारतीय बच्चे को प्रेरणा देती है। जो कहती है-"देशभक्ति की उम्र नहीं होती। सैनिक मात्र सीमा पर नहीं, खेतों में, गलियों में और दिलों में भी होते हैं।

"और अंत में...जब हम टेलीविजन पर ऑपरेशन सिंदूर की समाचार देख रहे थे, तब एक छोटा सा बालक इतिहास लिख रहा था। ना कोई समाचार पत्र का हेडलाइन बना, ना सोशल मीडिया पर ट्रेंड... पर भारतीय सेना के हर जवान के दिल में श्रवण बस गया। भारत को ऐसे ही नन्हे, निडर और निष्कलंक योद्धाओं पर गर्व है।

जय हिंद!