सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
किसान का बेटा इंजीनियर बना और अब वह अपने गांव में 300 लोगों को रोजगार दे रहा है। सुभाष सैनी की कहानी बताती है कि मेहनत, अनुभव और सही सोच से कोई भी आम आदमी खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकता है। सुभाष सैनी ने 1994 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और रुड़की की एक कंपनी में नौकरी शुरू की, जहां मारुति कार के ब्रेक और स्पेयर पार्ट्स बनते थे। नौकरी के दौरान उन्होंने सीखा कि कैसे उत्पादन, ऑर्डर मैनेजमेंट और टीम वर्क काम करते हैं। इस अनुभव ने उन्हें 2009 में अपना छोटा ऑटोमोबाइल पार्ट्स का कारोबार शुरू करने की हिम्मत दी। शुरुआत में उन्होंने छोटे स्तर पर काम किया। रुड़की में फैक्ट्री खोली और धीरे-धीरे 150 लोगों को रोजगार दिया। लगातार मेहनत और कस्टमर ट्रस्ट के चलते कारोबार बढ़ता गया। 2019 में कोरोना के कारण पूरे देश में बेरोजगारी और आर्थिक संकट आया। सुभाष अपने पुश्तैनी घर गंगोह आए और देखा कि यहां युवाओं के सामने रोजगार की कमी है। उन्होंने संकट को अवसर में बदलने का निर्णय लिया और गंगोह में नई फैक्ट्री लगाई। करीब 150 और लोग रोजगार पाने लगे। गंगोह की फैक्ट्री आज पूरे देश में ऑर्डर सप्लाई करती है। तो सोच क्या रहें हैं आप भी सुभाष के जैसा अपना काम क्यों नहीं शुरू कर देते। शुरुआत के लिए बस एक छोटी वर्कशॉप, कुछ बेसिक मशीनें और 5-10 लोग पर्याप्त हैं। शुरुआती खर्च लगभग 3-5 लाख रुपये में हो सकता है, जिसमें फैक्ट्री, मशीन और कच्चा माल शामिल है। पहले किसी वर्कशॉप में काम सीखें, उत्पादन और टीम का अनुभव लें और छोटे ग्राहकों या लोकल मार्केट से ऑर्डर लेना शुरू करें। जैसे सुभाष ने संकट के समय अपने गाँव में नई फैक्ट्री लगाकर युवाओं को रोजगार दिया, वैसे ही कोई भी अपने इलाके में छोटे स्तर पर कारोबार शुरू कर बेरोजगारी को अवसर में बदल सकता है।