मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
मुरादाबाद की एक महिला जो पहले हाथ में कलम थामे बच्चों का भविष्य लिखती थीं। गांव-गांव जाकर लोगों को मुफ्त में शिक्षा भी देती थीं। योग से लोगों को जीवन जीने की कला समझा रही थीं। आज सब कुछ छोड़ खेती में जुट गई हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि मुरादाबाद की हितेश चौधरी जो ट्रिपल एमए हैं, पीजी के साथ कई दूसरी डिग्रियां भी इनके नाम हैं। लेकिन अब हितेश ने क्लासरूम की नौकरी छोड़ खेतों को अपनी नई पहचान बना लिया। समाजसेवी सोच वाली हितेश चौधरी का लक्ष्य अब सिर्फ कमाई नहीं, बल्कि लोगों तक स्वस्थ और शुद्ध ऑर्गेनिक उत्पाद पहुंचाना है। हितेश बताती हैं कि योग सिखाते हुए वे लोगों को मिलेट्स और ऑर्गेनिक भोजन अपनाने की सलाह देती थीं। लेकिन जब उन्हें लगा कि ऑर्गेनिक चीजें आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, तो उन्होंने खुद पहल करने का फैसला लिया। इसी सोच के साथ हितेष चौधरी ने टीचर की नौकरी छोड़कर ऑर्गेनिक खेती शुरू की। आज वे एक दर्जन से ज्यादा ऑर्गेनिक उत्पाद तैयार कर रही हैं। रागी, ज्वार, बाजरा और मक्का जैसे मिलेट्स के आटे इनकी पहचान बन चुके हैं। हितेष चौधरी का उद्देश्य सिर्फ खुद तक सीमित नहीं। वे अन्य किसानों को मुफ्त में ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं।ऑर्गेनिक खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है और लोग भी इन उत्पादों से स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। मुरादाबाद की हितेष चौधरी की कहानी यह साबित करती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो खेती भी रोजगार और समाज सेवा दोनों का सशक्त माध्यम बन सकती है।



