आगरा, उत्तर प्रदेश
मिशनरियों का खतरनाक जाल बेनकाब, बीमारी और मजबूरी का शिकार बनाकर हिन्दुओं को जड़ों से काटने की कोशिश नाकाम
भारत कोई साधारण भूखंड नहीं है। यह वह भूमि है जहाँ वेदों की ऋचाएँ गूँजीं, जहाँ गीता का संदेश मनुष्य को कर्तव्य का बोध कराता आया और जहाँ धर्म और संस्कृति की नींव पर समाज ने हजारों वर्षों तक अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखा। किंतु गौरवमयी भारत को तोड़ने की नष्ट करने के कई प्रयास हुए, परन्तु नाकामयाब ही रहे। अब फिर एक बार विदेशी षड्यंत्रकारी अपने-अपने जाल फैला रहे हैं। कभी जिहादी मानसिकता तलवार लेकर आती है, तो कभी मिशनरी ताकतें क्रॉस और बाइबिल लेकर। उनके निशाने पर हमेशा वही लोग रहते हैं गरीब, दलित, बीमार और असहाय। जिन्हें वे सबसे आसान शिकार मानते हैं। आगरा से हाल ही में हुआ खुलासा इस खतरे की गंभीरता को उजागर करता है। यह केवल एक आपराधिक मामला नहीं अपितु यह उस योजनाबद्ध हमले का हिस्सा है जो सदियों से प्रहार करने की कोशिश करता रहा है। शाहगंज क्षेत्र के केदार नगर में चल रही 'प्रार्थना सभाएँ' दरअसल मतांतरण की प्रयोगशाला निकलीं। यहां पास्टर बने राजकुमार लालवानी और उसका गिरोह मासूम हिंदुओं को बीमारियों और गरीबी से मुक्ति का लालच देता था। ईसा मसीह की प्रार्थना से कैंसर और लकवा तक मिट जाएगा यह झूठ बार-बार बोला जाता। नौकरी की गारंटी है, बस प्रार्थना करो कहकर बेरोजगार युवाओं को फंसाया जाता। महिलाओं को कहा जाता मंगलसूत्र, बिछुए और सिंदूर पाप हैं, इन्हें छोड़ो तभी मोक्ष मिलेगा। घर से भगवान की मूर्तियां हटवाई जातीं और उनकी जगह बाइबिल थमा दी जाती। यह सिर्फ लालच नहीं था अपितु हिंदू प्रतीकों, परंपराओं और भावनाओं पर सीधा प्रहार था। पुलिस जांच में सामने आया कि यह कोई लोकल गैंग नहीं था। इसका नेटवर्क 'Church of God' नामक संगठन से जुड़ा हुआ था, जिसके तार हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र से लेकर स्पेन, दुबई और अमेरिका तक फैले हैं। गूगल मीट और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए ऑनलाइन प्रार्थना कराई जाती थी।
विदेश से आता था पैसा
विदेश से सीधा पैसा आता था, जिसका उपयोग सभाओं, बाइबल खरीदने, किराए पर जगह लेने और गरीबों को लालच देने में किया जाता था। कई बैंक खातों से संदिग्ध लेन-देन सामने आए हैं, जिनमें लाखों रुपये का लेन-देन हुआ है। यह नेटवर्क दर्शाता है कि यह कोई व्यक्तिगत लालच नहीं अपितु भारत को आस्था के स्तर पर तोड़ने की बड़ी योजना है। गिरोह को पकड़ना आसान नहीं था। लोग खुलकर गवाही देने को तैयार नहीं थे क्योंकि डर और दबाव बहुत बड़ा था। ऐसे में शाहगंज पुलिस ने प्लानिंग की और महिला कांस्टेबलों को गरीब मरीज बनाकर सभा में भेजा गया। वहां उनका तिलक मिटवाया गया, कलावा कटवाया गया और उन्हें ईसाई प्रार्थना कराई गई।जब यह सबूत पुख्ता हो गया, तभी पुलिस ने छापा मारा। छापेमारी में 8 लोग गिरफ्तार हुए, जिनमें 3 महिलाएं और एक सरकारी शिक्षक भी शामिल हैं। पुलिस ने 15 बाइबल, ईसाई गीतों की किताबें, डायरी, मोबाइल और नकदी बरामद की। यह दिखाता है कि मिशनरी गिरोह न केवल धार्मिक बल्कि शैक्षणिक तंत्र में भी पैठ बना रहा था।
जनता बनी प्रहरी 'चश्मे वाला स्टिंग'
इस खुलासे की असली शुरुआत समाजसेवी घनश्याम हेमलानी ने की। उन्होंने दिल्ली से एक हिडन कैमरा वाला चश्मा खरीदा और हर रविवार सभा में जाकर गुप्त रिकॉर्डिंग की। उन्हीं वीडियो को सबूत बनाकर पुलिस तक पहुँचाया गया। उन्होंने मंत्री तक पूरा मामला पहुंचाया। यह घटना साबित करती है कि सनातन की रक्षा केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि हर जागरूक नागरिक प्रहरी बन सकता है। जब समाज सजग होता है, तभी षड्यंत्रों का पर्दाफाश होता है। इस पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण हमें यह समझाता है कि यह केवल मतांतरण का मामला नहीं है। यह सुनियोजित हमला है हिंदू आस्था को प्रतीकों से वंचित करने का प्रयास। गरीबों की मजबूरी को हथियार बनाकर उन्हें आस्था से तोड़ना। बच्चों के भविष्य और बीमारियों को बहाना बनाकर पूरे परिवार को मतांतरण में धकेलना। इतिहास गवाह है कि जब-जब हिंदू समाज ने ढिलाई दिखाई, तब-तब ऐसे षड्यंत्र पनपे। चाहे वह औपनिवेशिक काल के मिशनरियों की गतिविधियाँ हों या आज के ग्लोबल नेटवर्क, उनका उद्देश्य एक ही रहा है भारत को उसकी जड़ों से काटना।
समाज और सरकार के लिए चेतावनी
यह मामला केवल आगरा तक सीमित नहीं है। यह पूरे भारत के लिए चेतावनी है। अगर आज समाज जागरूक नहीं हुआ तो कल यही सभाएँ हर गली और मोहल्ले में फैल जाएँगी। सरकार को चाहिए कि विदेशी फंडिंग की गहन जांच करे और इस तरह के संगठनों पर प्रतिबंध लगाए। समाज को चाहिए कि वह अपने आस-पास ऐसी सभाओं पर नजर रखे और तुरंत प्रशासन को सूचना दे। परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे लालच और झूठे वादों से बचाना सीखाएँ।
आगरा का यह खुलासा केवल एक पुलिसिया कार्रवाई नहीं, बल्कि चेतावनी है कि भारत की तोड़ने की साजिशें किस स्टार पर चल रही है। मिशनरी ताकतें 'बीमारी मिटाने' और 'गरीबी दूर करने' जैसे झूठे वादों से हिंदुओं को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं।