कूड़ा-करकट बीन रहे बच्चों को देख जहां लोग मुंह मोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। तो वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जो इनको देखकर ठिठक जाते हैं ....ऐसे ही एक शिक्षक हैं जिन्होंने ऐसे बच्चों के लिए कुछ ठाना और आज इनके हाथों में कॉपी-किताब थमाकर इनके अंधकारमय जीवन में शिक्षा का उजाला फैला रहे हैं। हम बात कर रहे हैं यूपी के बुलंदशहर के पहासू ब्लाक स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला सारंगपुर में कार्यरत शिक्षक रिंकू सिंह की।
रिंकू सिंह 2016 से अब तक सैकड़ों बच्चों का विभिन्न सरकारी स्कूलों में प्रवेश कराकर बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय के निर्देशन में चल रहे ‘पढ़ेगा बुलंदशहर’ अभियान को साकार कर रहे हैं।
रिंकू सिंह बताते हैं कि जब वे झुग्गी-झोपड़ी में रहकर कूड़ा बीनते हुए बच्चों को देखते थेतो उन्हें बड़ा कष्ट होता था, इसलिए उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित बनाने का बीड़ा उठाया। शुरुआत में काफी मुश्किल हुई, बच्चों के स्वजनों को समझाना आसान नहीं था। इसलिए उन्होंने झुग्गी-झोपड़ी में ही पाठशाला लगाई और इन बच्चों को साक्षर बनाने की पहल शुरू की।
इसके बाद विभिन्न परिषदीय स्कूलों की आयु संगत कक्षाओं में इन बच्चों का दाखिला कराया। पढ़ाई के साथ साथ इन बच्चों का खेल और कौशल विकास कर हुनरमंद बनाया।
रिंकू के इन प्रयासों से अब तक सैंकड़ों बच्चे शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। आज इन बच्चों में से कई स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं, तो कई विभिन्न खेलों में पदक जीतकर आगे बढ़ रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए रिंकू सिंह को राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।