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नौकरी छोड़ खेती से लाखों कमा रहे बिजनौर के ऋतुराज:कोरोना काल में घर लौटे तो शुरू की खेती

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कोरोना काल का लॉकडाउन हर किसी को याद होगा. कोविड का समय किसी के लिए आपदा से कम नहीं रहा, तो कहीं आपदा को भी कुछ लोगों ने अवसर में बदल दिया. ऐसे ही एक कहानी है बिजनौर के ऋतुराज सिंह की. जिन्होंने कोरोना काल में घर रहकर खेती-किसानी करने की ठाल ली. आज के समय में वे घर बैठे सालाना 10 लाख तक कमा रहे हैं.

जब कोरोना काल में लॉकडाउन लगा, तो बड़े शहरों में चारों ओर डर का माहौल था, लेकिन जब मैं अपने गांव ( उमरी) पहुंचा तो मुझे एक अलग ही शांति का एहसास हुआ. अपने गांव में हरियाली, चिड़ियों की आवाज़, गांव की शांति को महसूस करते कब 3 महीने गुजर गए, पता ही नहीं चला. फिर एक दिन पूरा परिवार एक साथ बैठा था।  उन्होनें मन बनाया कि  अपने आगे का जीवन और भविष्य खेती में ही तलाशना है और ऑर्गेनिक खेती करके खेती के क्षेत्र में क्रांति लानी है.अपने गांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की ठान ली। 

ऋतुराज ने बताया कि तीन बीघा के खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए कम से कम 5 से 6 लाख तक का इन्वेस्टमेंट होता है. इसमें सबसे ज्यादा खर्च सीमेंट के पोल्स पर आता है क्योंकि ड्रैगन फ्रूट बेल की तरह चलता है, इसलिए सीमेंट का पोल खेत में लगाना होता है. अब साल 2024 में ऋतुराज सिंह 3 बीघा जमीन से बढ़ाकर 6 बीघा जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.

ड्रैगन फ्रूट की प्लांटेशन सितम्बर 2020 में की थी और जून 2021 में हमारे खेत की फसल तैयार हुई . साल 2021 में तीन बीघा से केवल 4 क्विंटल ड्रैगन फ्रूट ही उगे. जिसका प्रति किलो का रेट 200 रुपये है. उन्होंने 2021 में केवल ₹80000 का प्रॉफिट कमाया. 2022 में ड्रैगन फ्रूट की फसल दोगुनी हो गई यानी तीन बीघा में 8 क्विंटल, 220 प्रति किलो के हिसाब से शुद्ध 1,76,000 का मुनाफा ऋतुराज को हुआ.

अपने फार्म पर सिंचाई करने के लिए स्प्रिंकलर, रेन गन और ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करते हैं. ड्रिप इरिगेशन से पानी की ज्यादा बचत होती है. इसकी वजह से केवल पेड़ को जरूरत जितना ही पानी संचित होता है. इससे नमी बनी रहती है.