गमों की आंच में आंसू उबालकर देखो, बनेंगे रंग किसी पर भी डालकर देखो, तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी, किसी के पांव से कांटा निकालकर देखो।
इन पंक्तियों में छिपे संदेश का सार समझते हुए डा. मारुति गौतम ठाकुरजी बांकेबिहारी की नगरी में बेसहारा बीमार लोगों का इलाज करते हैं।
यूपी के मथुरा में वृंदावन क्षेत्र के तेलीपाड़ा में अपना क्लीनिक चलाने वाले डा. मारुति गौतम ने वर्ष 2006 में पंजाब विवि से चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया। करीब दस वर्ष पहले जब उन्होंने सड़क किनारे बीमार और घायल लोगों को देखा तो उनका मन द्रवित हो गया, उन्होंने उनकी सेवा करने का संकल्प ले लिया।
उन्होंने हर दिन सुबह- शाम क्लीनिक में मरीजों को उपचार देने के साथ दोपहर में दो घंटे नियत कर लिये हैं जब वे शहर के अंदर सड़क किनारे, मंदिरों के आसपास व परिक्रमा मार्ग में लोगों का हाल-चाल जानने निकलते हैं। कोई चोटिल है, तो खुद दवा देने के साथ उसके घाव पर मरहम लगाते हैं। जब तक स्वस्थ न हो जाए, तब तक उसकी देखभाल करते हैं।
कोई बीमार है, तो उसे दवा देकर नियमित हालचाल लेते हैं। पिछले दस वर्षों में डॉ. गौतम करीब सात हजार लोगों का निःशुल्क उपचार कर चुके हैं। वह कहते हैं कि जब मरीज स्वस्थ हो जाता है, तो मन को बड़ा सुकून मिलता है।
कोरोना काल में भी डा. गौतम ने देखा कि बहुत से मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। वह अस्पताल भी नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में वह उनके स्थान पर जाकर नियमित रूप से उन्हें दवा देते थे। वह कहते हैं कि मैं उपचार कर पा रहा हूं, ये श्री राधारानी की कृपा है। सनातन मूल्यों में आस्था रखते हुए सेवाकार्य को समर्पित डॉ. मारुति जैसे लोग समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।