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आरएसएस नाम उपयोग करने का मामला – उच्च न्यायालय का एफआईआर रद्द करने से इंकार, जनार्दन मून की याचिका खारिज

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नागपुर. जनार्दन मून और पाशा नामक स्वयंघोषित एक्टिविस्ट द्वारा विगत दिनों नागपुर सिविल लाईन्स स्थित प्रेस क्लब में पत्रकार परिषद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का उपयोग करते हुए मनगढ़ंत दावे किए थे. समाज तथा स्वयंसेवकों में संभ्रम निर्माण करने के कृत्य को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत के साथ ही, सीताबर्डी पुलिस थाने में उपरोक्त व्यक्तियों के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया था. इस आपराधिक मामले को निरस्त करवाने के उद्देश्य से दोनों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने जनार्दन मून की याचिका खारिज कर दी.

जनार्दन मून और पाशा ने २३ मार्च की पत्रकार परिषद के दौरान उनके द्वारा नामित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ का कांग्रेस पार्टी को समर्थन घोषित किया था. इस मामले में रा. स्व. संघ नागपुर महानगर कार्यवाह रवींद्र बोकारे ने सीताबर्डी पुलिस थाने में शिकायत की थी. इस पर पुलिस ने आईटी कानून की धारा ६६ (क तथा ड) और भादंवि की धारा ५०५ (२) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था.

शिकायतकर्ता रवींद्र बोकारे को २३ मार्च के दिन व्हॉटसएप पर, जनार्दन मून द्वारा नामित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम से पत्रकार परिषद आयोजित करने की जानकारी प्राप्त हुई थी. पत्रकार परिषद में मून तथा पाशा ने मनगढ़ंत दावे किए थे.

इसके पूर्व भी, जनार्दन मून ने आरएसएस नामक संस्था स्थापन करने हेतु सहायक निबंधक कार्यालय में निवेदन किया था. किन्तु, उनका आवेदन खारिज हो गया था. इसके खिलाफ उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी और सर्वोच्च न्यायालय में भी विशेष अनुमति याचिका द्वारा (एसएलपी) निर्णय को चुनौती दी थी. इन सभी याचिकाओं को माननीय न्यायालय खारिज कर चुका है. जनार्दन मून की ‘आरएसएस’ नामक कोई भी संस्था नहीं है. किन्तु उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नाम का दुरुपयोग कर सोशल मीडिया पर संघ के विषय में भ्रामक वृत्त प्रसारित किया, इसलिए मून एवं पाशा इन दोनों के खिलाफ पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज किया गया.