- अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी को इस ऐतिहासिक दिन को याद करने और अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे। सुबह से ही सरयू नदी में स्नान और रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लग गईं।
- त्रिदिवसीय ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ उत्सव पहले ही 11 जनवरी को हिंदी पंचांग के अनुसार मनाया जा चुका है। फिर भी अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर इस दिन को खास मानने वाले भक्त बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंचे।
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के मौके पर रामनगरी अयोध्या श्रद्धालुओं से भर गई। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी को इस ऐतिहासिक दिन को याद करने और अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे। सुबह से ही सरयू नदी में स्नान और रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लग गईं।
भक्तों में उत्साह का माहौल -
त्रिदिवसीय ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ उत्सव पहले ही 11 जनवरी को हिंदी पंचांग के अनुसार मनाया जा चुका है। फिर भी अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर इस दिन को खास मानने वाले भक्त बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंचे। ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था ने मौसम को मात दी।
राम मंदिर के चारों ओर जयकारों की गूंज रही। हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन सहित सभी प्रमुख मंदिर श्रद्धालुओं से खचाखच भरे हुए थे। होटल और धर्मशालाओं में पहले से ही बुकिंग हो चुकी थी।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम -
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए रामनगरी को छह जोन और 17 सेक्टर में बांटा गया। सुरक्षा के लिए हर जोन में राजपत्रित अधिकारियों और सेक्टरों में सीओ स्तर के अधिकारी तैनात किए गए।
रामलला के दर्शन का अद्भुत अनुभव -
श्रद्धालु, विशेष रूप से दूर-दराज से आए हुए, भगवान रामलला के दर्शन करके अभिभूत दिखे। कई भक्तों ने इसे अपने जीवन का सौभाग्य बताया।
हालांकि राम मंदिर परिसर में कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ। राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, सभी अनुष्ठान और पूजा नियमित दिनचर्या के अनुसार ही किए गए। फिर भी भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी।
रामनगरी में भक्तों का सैलाब -
अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने प्राण प्रतिष्ठा के इस वार्षिक अवसर को ऐतिहासिक बना दिया। पार्किंग स्थल खचाखच भरे हुए थे। महाकुंभ से लौटकर श्रद्धालु रामलला के दर्शन करने पहुंचे। स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में इस शुभ अवसर पर उपस्थित रहे।
यह उत्सव रामनगरी अयोध्या की जीवंतता और रामलला के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा का प्रमाण है।