- डीएम से लेकर पूर्व मुख्य सचिव स्तर तक के अधिकारी संगम तट पर कल्पवास करते हुए नियमों और अनुशासन का पालन कर रहे हैं।
- महाकुंभ में दो दर्जन से अधिक सेवारत और सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस अधिकारी कल्पवास कर रहे हैं।
प्रयागराज। महाकुंभ के दौरान संगम की रेती पर न केवल श्रद्धालु, संत और साधु-संत कल्पवास कर रहे हैं, बल्कि कई आला अधिकारी भी इस पवित्र परंपरा का पालन कर रहे हैं। डीएम से लेकर पूर्व मुख्य सचिव स्तर तक के अधिकारी संगम तट पर कल्पवास करते हुए नियमों और अनुशासन का पालन कर रहे हैं।
अधिकारियों का संकल्प -
महाकुंभ में दो दर्जन से अधिक सेवारत और सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस अधिकारी कल्पवास कर रहे हैं। इनमें यूपी के पूर्व मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी, पूर्व आईएएस अधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र और सत्येंद्र सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी अपने परिवारों के साथ संगम के शिविरों में रहकर एक महीने तक ध्यान, पूजा-पाठ, जप-तप और गंगा स्नान कर रहे हैं।
ड्यूटी के लिए महाकुंभ में तैनात कुछ अफसर भी इस अवसर को नहीं गंवा रहे। एक आईपीएस अधिकारी ने बताया कि वह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान, हरि नाम संकीर्तन और संत सेवा कर कल्पवास का पालन कर रहे हैं।
कल्पवास के नियम -
कल्पवास के लिए कठोर नियमों का पालन किया जाता है, जिनका उद्देश्य मन, वचन और कर्म की शुद्धि है:
- सत्य वचन: झूठ बोलने पर कल्पवास खंडित माना जाता है।
- अहिंसा और संयम: इंद्रियों पर नियंत्रण, प्राणियों पर दया और व्यसनों का त्याग अनिवार्य है।
- तीन बार गंगा स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नियमित तीन बार गंगा स्नान किया जाता है।
- संत सेवा और जप-तप: संतों की सेवा, ध्यान और कीर्तन कल्पवास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- एक समय भोजन: कल्पवास के दौरान केवल एक समय भोजन ग्रहण किया जाता है।
स्मृतियों और पुराणों पर आधारित हिंदू आचार संहिता -
महाकुंभ में इस बार हिंदू समाज के लिए 351 वर्षों बाद हिंदू आचार संहिता तैयार की गई है। काशी के विद्वानों और देशभर के संतों के सहयोग से तैयार इस संहिता में विवाह, सामाजिक व्यवस्था और कुरीतियों को लेकर स्पष्ट विधान बनाए गए हैं।
- तैयारी में 15 वर्ष: 70 विद्वानों की 11 टीमों और तीन उप-टीमों ने 15 वर्षों तक धर्मग्रंथों का अध्ययन कर इसे तैयार किया।
- प्रथम सार्वजनिक लोकार्पण: 25 जनवरी से होने वाले संत सम्मेलन में शंकराचार्य, महामंडलेश्वर और अन्य संत इस पर अपनी अंतिम मुहर लगाएंगे।
- प्रथम संस्करण: मौनी अमावस्या के बाद एक लाख प्रतियां महाकुंभ में वितरित की जाएंगी, जिसके बाद पूरे देश में 11,000 प्रतियों का वितरण होगा।
देशभर में संदेश -
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती के अनुसार, यह आचार संहिता हिंदू समाज के लिए एक दिशा-निर्देश होगी, जिसमें सनातन परंपरा को नई ऊर्जा और दिशा देने का प्रयास किया गया है।
महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अधिकारियों और समाज के लिए जीवन को पुनर्गठित करने का भी अवसर बन गया है। संगम की रेती पर कल्पवास और हिंदू आचार संहिता का विमोचन दोनों ही सनातन धर्म के पुनरुत्थान और उसके वैश्विक प्रसार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।