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राममन्दिर और कृष्ण जन्मभूमि की तरह कोर्ट में ज्ञानवापी की सुनवाई की मांग

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18 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी विवादित ढांचे पर सुनवाई हुई, जिसमें ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। हिंदू पक्ष ने विवादित ढांचे के नीचे मन्दिर के अवशेष होने का दावा किया, जिसके लिए कोर्ट ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा सर्वेक्षण की मांग की है। मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वेक्षण का विरोध किया है, और इस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है। हाईकोर्ट ने फिलहाल अगली सुनवाई के लिए 8 नवंबर तारीख तय की है और सर्वेक्षण प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश दिए हैं।


ज्ञानवापी विवादित ढांचे विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण सुनवाई की है, जो काशी विश्वनाथ मन्दिर और ज्ञानवापी परिसर के बीच भूमि विवाद से संबंधित है। इस मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी एक प्राचीन मन्दिर को ध्वस्त कर बनाई गई थी, और उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में पूजा-अर्चना के अधिकार की मांग की है।


इस मामले में 1991 से लंबित एक दीवानी मुकदमा चल रहा है, जिसमें हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी की जमीन को काशी विश्वनाथ मंदिर को सौंपने और ढांचे  को हटाने की मांग की थी। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को चुनौती दी थी और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल की स्थिति नहीं बदली जा सकती।

हालांकि, दिसंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने हिंदू पक्ष के पूजा के अधिकार पर सवाल उठाया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में 1991 का मुकदमा कानूनी रूप से मान्य ठहराया, और ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) जारी रखने का आदेश दिया। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य यह जानना है कि ज्ञानवापी ढांचे के नीचे कोई प्राचीन मन्दिर के अवशेष मौजूद हैं या नहीं।


यह विवाद अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी विवादित ढांचे मामले की तरह एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसमें धार्मिक और कानूनी दोनों पक्षों से गहन बहस हो रही है। यदि ज्ञानवापी ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर होने के सबूत मिलते हैं, तो इससे विवाद और गहरा हो सकता है। न्यायालय ने इस मामले को राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा मानते हुए अगले चरण की सुनवाई निर्धारित की है।