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गोरखपुर की रामरती बना रहीं गोमुत्र और लहसुन से कीटनाशक, कई शोध पत्रों में उनके गुर को मिल चुका है स्थान

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गोरखपुर की रामरती ने अपने खेत के लिए एक ऐसा कीटनाशक बनाया है जिसकी चर्चा आज पूरे देश में हो रही है। गोबर की खाद और लहसुन-गोमूत्र से बने कीटनाशक के प्रयोग से कम लागत में न केवल आमदनी कई गुणा हो रही है, बल्कि रामरती को राष्ट्रीय पहचान भी मिल रही है।

कुछ वर्ष पहले तक रामरती के परिवार को छोटी भूमि के कारण आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता था। दूसरों के खेतों में मजदूरी भी करनी पड़ती थी। मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता था। इसके बाद रामरती ने जैविक खेती शुरू की। खेतो में रासायनिक उर्वरकों की जगह वर्मी कम्पोस्ट और छिड़काव के लिए गोमूत्र और लहसुन से बने कीटनाशक के प्रयोग से कम लागत में अच्छी पैदावार होने लगी, वहीं पर्यावरण का संरक्षण भी होने लगा। जिससे उत्साहित होकर रामरती ने एक ही खेत में कई तरह की फसल व सब्जियों की खेती शुरू कर दी। अब रामरती एक एकड़ भूमि में ही दर्जनों प्रकार की सब्जियां और अनाज उगा रही हैं। कल तक जिस रामरती के पास परिवार का गुजारा करने के लिए पर्याप्त अन्न नहीं होता था वे आज खेती के प्राकृतिक तरीकों को अपना कर आत्मनिर्भर हो गई हैं।

रामरती पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन आज बड़े-बड़े कृषि विज्ञानी भी खेती किसानी के उनके ज्ञान व कौशल से हतप्रभ हो जाते हैं। कृषि से जुड़े कई शोध पत्रों में खेती के उनके गुर को स्थान मिल चुका है। रामरती ने सफलता सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखी बल्कि छोटी कृषि भूमि वाले अन्य किसानों को कम लागत और संसाधन में लाभकारी खेती के गुर सिखाकर उन्हें भी आगे बढ़ाया है। इस काम के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी दिए जा चुके हैं।