सरकारी स्कूलों को अभावहीन रूप में ही देखा जाता है लेकिन ऐसे कई सरकारी विद्यालय हैं जो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी अपने विभिन्न क्रियाकलापों की वजह से मिसाल बनते रहे हैं। उत्तराखण्ड के बागेश्वर का राजकीय जूनियर हाई स्कूल भी कुछ ऐसी ही मिसाल पेश कर रहा है। यहां बच्चों के हाथों से लिखे शब्द ऐसे हैं मानों कागज पर मोती छापे हों। छात्र-छात्राओं का कहना है कि उनकी हैंडराइटिंग में सुधार के लिए वह स्कूल में ही एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं। यहां मिलने वाले प्रशिक्षण की बदौलत वह अलग अलग तरह की राइटिंग को सीख रहे हैं। हिंदी ही नहीं अंग्रेजी में भी छात्र सफेद कागज पर मोती जैसे शब्दों को लिखते चले जाते हैं।
छात्रों के लिए इस हस्त
लेखन को सीखना इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए न केवल गहरी लगन बल्कि नियमित
प्रशिक्षण की भी जरूरत है. इस विद्यालय के शिक्षक नरेंद्र गोस्वामी ने छात्रों के
हस्त लेखन में सुधार का बीड़ा उठाया है. छात्रों के साथ मिलकर नरेंद्र गोस्वामी
लंबे समय से हस्त लेखन की इस प्राचीन विधा को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं. यह हुमर
मात्र एक दो छात्रों में नहीं अपितु विद्यालय के अधिकतर छात्र इसी तरह के सुंदर
हस्त लेखन के जरिए विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं.
आज बागेश्वर का यह
विद्यालय प्रदेशभर में सुहस्त लेखन के लिए चर्चाओं में है. प्रदेशभर के सरकारी ही
नहीं बल्कि निजी स्कूलों के लिए भी इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र एक सबक बन गए
हैं. खासतौर पर तब जब बेहतर हैंडराइटिंग को लेकर विद्यालयों में प्रयास कम हो रहे
हैं और कोविड काल के बाद छात्रों के शिक्षा के स्तर से लेकर उनके हस्त लेखन तक पर
गहरा प्रभाव पड़ा है.
उत्तराखंड का शिक्षा
विभाग ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय तक इनकी हौसला अफजाई कर रहा है. स्कूल
के लिए गर्व की बात यह है कि राज्य में तमाम पुस्तकों पर अब मुख्यमंत्री पुष्कर
सिंह धामी और तमाम मंत्रियों के साथ अफसरों के संदेश भी इन्हीं बच्चों की लेखनी के
जरिए लिखे जाएंगे.