इन्दिरापुरम, गाजियाबाद.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रांत कार्यवाह शिवकुमार जी ने कहा कि यह ओलंपिक का बाल स्वरूप है और बच्चों को ओलंपिक का ही अनुभव होगा. शाखा में जाने वाले बालक अधिक अनुशासित होते हैं और प्रतिदिन शाखा के खेलों के माध्यम से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ती है. प्रतिदिन शाखा में अनेक प्रकार के खेलों से दृश्य और सुंदर लगता है. आज वही सुंदर दृश्य बाल ओलंपिक में भी देखने को मिला है. भगवान राम ने भी खेलों के माध्यम से बहुत कुछ सीखा था. छोटे-छोटे खेलों के माध्यम से ही हम यह भी सीख लेते हैं कि हार में ही जीत छिपी होती है. संघ की शाखा में भी जब कोई जीतता है तो सभी कहते हैं – “कौन जीता, संघ जीता”. इस भावना से सभी जीतते हैं.
कार्यक्रम में 1737 स्वयंसेवकों ने सहभागिता की, व्यवस्था और अन्य कार्यों में 600 स्वयंसेवक रहे.