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हिन्दू प्रकृति के हर जीव के कल्याण का विचार करता है

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हरनंदी महानगर का शारीरिक प्रधान कार्यक्रम 20 बीघा मैदान कनावनी (इंदिरापुरम) में संपन्न हुआ. अमृत वचन और व्यक्तिगत गीत के पश्चात मुख्य वक्ता अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद्र जी का प्रेरक उद्बोधन रहा. कार्यक्रम में घोष, दंड, नियुद्ध, पद विन्यास, समता, दंड युद्ध, सामूहिक समता, व्यायाम व आसन का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम में कुल उपस्थिति 1200 रही, जिसमें प्रतिभागी स्वयंसेवक 250, व्यवस्था में 100 बंधु, समाज के 850 बंधु (मातृशक्ति सहित) उपस्थित रहे. मुख्य वक्ता ने कहा कि संघ पर अनेकों बार झूठे आरोप लगाए गए और कई बार प्रतिबंध भी लगाया गया. लेकिन स्वयंसेवक अपने पथ से नहीं डिगे. उन्होंने चरखी दादरी की प्लेन दुर्घटना के पश्चात स्वयंसेवकों द्वारा बिना किसी भेद-भाव के सहयोग, टर्की में भूकंप के बाद भारत के सहयोग की चर्चा की. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने मर्यादा नहीं छोड़ने की सीख दी है. स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी महाराज आदि महापुरुषों के विचार का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि अधूरे तत्वज्ञान का अहंकार ही आतंकवाद है. हिन्दू विचार कहता है कि जिस देश में जन्म हुआ, उस देश की उन्नति, जिस धर्म में जन्म हुआ उसको उन्नत करो. दूसरे की विचाराधारा को समाप्त करने का विचार नहीं करना. हिन्दू विचार का प्रसार ही विश्व कल्याण का मार्ग है. हिन्दू विचार कहता है कि हिन्दू समाज शक्तिशाली होगा तो विश्व में भी शान्ति का निर्माण होगा. हिन्दू हर जीव के कल्याण का विचार, प्रकृति के कल्याण का भी विचार करता है. हिन्दू परंपरा कहती है कि प्रकृति के शोषण करने का नहीं, दोहन का अधिकार मनुष्य का है. उन्होंने पांच पुत्रों की कहानी सुनाते हुए कहा कि पांचों में जो उत्तम पांचवां पुत्र है, संघ उसी पांचवें व योग्य पुत्र को ढूंढने का कार्य करता है. ताकि देश-हित व समाज हित में कार्य को गति दी जा सके. कार्यक्रम में अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख सुशील जी, क्षेत्र संपर्क प्रमुख आनंद, सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे