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संस्कार शून्यता रही तो देश कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता – सुरेश सोनी जी

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नई दिल्ली।

-सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है भारत – केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में ‘भरतमुनि सम्मान’ से बड़ा कोई पुरस्कार नहीं हो सकता। पुरस्कार विजेताओं ने पुरातन कला एवं संस्कृति को जीवंत रखने का काम किया है।

केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है और इस दिशा में आगे बढ़ते हुए हम सभी को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। गजेन्द्र सिंह शेखावत संस्कार भारती द्वारा आयोजित ‘भरतमुनि सम्मान-2024’ कार्यक्रम में उपस्थित कला एवं साहित्य क्षेत्र से जुड़े साधकों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने लखनऊ कथक केन्द्र से दीक्षा प्राप्त प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना डॉ. कुमकुम धर एवं आधुनिक संस्कृत साहित्य के प्रतिष्ठित कवि एवं गीतकार डॉ. हरेकृष्ण मेहेर को ‘भरतमुनि सम्मान-2024’ से सम्मानित किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में ‘भरतमुनि सम्मान’ से बड़ा कोई पुरस्कार नहीं हो सकता। पुरस्कार विजेताओं ने पुरातन कला एवं संस्कृति को जीवंत रखने का काम किया है।

‘भरतमुनि सम्मान 2024’ से सम्मानित कथक नृत्यांगना डॉ. कुमकुम धर ने कहा कि पंचम वेद से विख्यात नाट्य शास्त्र के रचयिता महर्षि भरतमुनि सम्मान को पाकर वह अभिभूत हैं। इस सम्मान के लिये चुने जाने पर उन्होंने चयन समिति का आभार जताया। उन्होंने कहा कि कला मानव चित्त को निर्मल और जीवन को अनुशासित करती है। कला साधना वाले मर्यादित और देशप्रेम के भाव वाले होते हैं।

साहित्यकार डॉ. हरेकृष्ण मेहेर ने साहित्य जगत के प्रति संस्कार भारती के सम्मान को अत्यंत गौरव की बात बताया। उन्होंने कहा, ‘मुझे संस्कृत साहित्य के लिये जो सम्मान दिया गया है, उससे में कृतज्ञ महसूस कर रहा हूं। यह मेरा सौभाग्य है।’ यह देश और उनके प्रदेश ओड़ीशा के लिये गौरव की बात है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी जी ने सारगर्भित संबोधन में भारतीय कला-संस्कृति के लिए समर्पित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महर्षि भरतमुनि ने जीवन भर साधना की, कठिन साधना से ही सफलता मिलती है। ऐसे ही दो साधकों को जिन्होंने जीवन भर कड़ी साधना की, उन्हें आज संस्कार भारती ने सम्मानित किया। ‘शब्द’ और ‘स्वरों’ की अपनी दुनिया है; रंग-रेखाओं की अपनी दुनिया है। भाव- भंगिमाओं की भी अलग दुनिया है। भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ ने इन सभी को एक स्थान पर ला दिया। गणित और संगीत ही पूरी दुनिया है। विश्व कल्याण के लिए मानव का संस्कारी होना आवश्यक है, संस्कार शून्यता रही तो कभी भी देश आगे नहीं बढ़ सकता और संपूर्ण भारत को संस्कारित करना ही संस्कार भारती का उद्देश्य है। इस दिशा में कला ही श्रेष्ठतम साधन है।

संस्कार भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. मैसूर मंजूनाथ ने कहा कि महर्षि भरतमुनि को समर्पित इस सम्मान के लिए विशिष्ट कलाकारों और साहित्यकारों को सम्मानित करते हुए संस्कार भारती गौरवान्वित अनुभव कर रही है।