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हिंदी लेखन को बढ़ावा देने की पहल: बीएचयू देगा पुरस्कार और प्रमाण पत्र

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वाराणसी। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने नई योजना शुरू की है। इस पहल के तहत हिंदी में उत्कृष्ट लेखन और काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा। योजना का उद्देश्य विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाना और छात्रों के लिए सूचनाओं और आदेशों को अधिक सुलभ बनाना है।

पुरस्कार और मान्यता -

बीएचयू के विभिन्न विभागों और कार्यालयों में हर साल 20,000 से अधिक हिंदी शब्द लिखने वाले कर्मचारियों का मूल्यांकन किया जाएगा।

पहला स्थान: दो विजेताओं को ₹5000 और प्रमाण पत्र।

दूसरा स्थान: तीन प्रतिभागियों को ₹3000 और प्रमाण पत्र।

तीसरा स्थान: पांच प्रतिभागियों को ₹2000 और प्रमाण पत्र।

योजना के तहत हर महीने हिंदी में किए गए काम का रिकॉर्ड बनाना और उसे कार्यालय प्रमुख से प्रमाणित कराना अनिवार्य होगा।

रीजनल भाषाओं के प्रतिभागियों को प्रोत्साहन -

जो प्रतिभागी कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, बांग्ला, असमिया और उड़िया जैसी क्षेत्रीय भाषाओं से आते हैं, उन्हें 20% अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे। कुल 100 अंकों के मूल्यांकन में:

70% अंक हिंदी लेखन और कार्यों के लिए।

30% अंक विचारों की स्पष्टता और प्रस्तुति के लिए।

नियम और आवेदन प्रक्रिया -

एक ही व्यक्ति को लगातार दो साल तक पुरस्कार नहीं दिया जाएगा।

एक साल का अंतराल लेने के बाद फिर से आवेदन किया जा सकता है।

राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा जारी आवेदन पत्र में 12 महीनों के दौरान लिखे गए हिंदी शब्दों की संख्या और विवरण भरना होगा।

हिंदी में काम का प्रोत्साहन -

इस योजना के तहत हिंदी टाइपिंग, सूची तैयार करना, रजिस्टर एंट्री, अकाउंट का कार्य और आलेखन जैसे कार्यों को मान्यता दी जाएगी।

हिंदी का व्यापक उपयोग -

बीएचयू ने निर्देश दिया है कि छात्रों, रिसर्चर्स और प्रोफेसर्स के लिए अधिकतर नोटिस, आदेश और अध्ययन सामग्री हिंदी में उपलब्ध कराई जाए। इससे हिंदी क्षेत्र के छात्रों को सूचनाएं समझने में आसानी होगी, जो अब तक अंग्रेजी में जारी होने के कारण कठिनाई महसूस करते थे।

कमेटी करेगी मूल्यांकन -

हिंदी कार्यों के आकलन के लिए एक समिति का गठन कुलपति करेंगे। यह समिति हिंदी लेखन के स्तर, शब्द संख्या और विचारों की गुणवत्ता के आधार पर विजेताओं का चयन करेगी।

हिंदी लेखन में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास -

बीएचयू की यह पहल न केवल हिंदी को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह कर्मचारियों और अधिकारियों को हिंदी में काम करने के लिए प्रेरित करेगी। इससे विश्वविद्यालय में हिंदी के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित किया जा सकेगा।