मेरठ। वेस्ट यूपी के 10 जिलों के डीजे संचालकों ने समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। अब डीजे पर ऐसा कोई गाना नहीं बजाया जाएगा, जो जाति या धर्म पर टिप्पणी करता हो। साथ ही, सड़कों पर डीजे संचालकों के बीच ध्वनि प्रतियोगिता (साउंड कंप्टीशन) को भी बंद कर दिया गया है। यह निर्णय मेरठ में आयोजित बैठक के बाद लागू किया गया।
मेरठ में हुई अंतिम बैठक -
पिछले दो महीने में बागपत, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में स्थानीय बैठकों के बाद अंतिम बैठक मेरठ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित मैरिज होम में हुई। इसमें बागपत, मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और नोएडा सहित अन्य जिलों से करीब 500 डीजे संचालक शामिल हुए। बैठक में डीजे संचालकों ने सर्वसम्मति से ऐसे फैसले लिए, जिनसे डीजे बजाने से आम लोगों को परेशानी न हो और समाज में तनाव न बढ़े।
फैसले और उनके क्रियान्वयन -
1. धार्मिक यात्राओं में डीजे की सीमा तय
एक दिन की धार्मिक यात्रा में अधिकतम 10 बेस कॉलम डीजे लगेंगे।
एक दिन से अधिक की यात्रा में 12 बेस कॉलम तक अनुमति दी गई।
संकरी सड़कों पर यात्रा के दौरान कॉलम की संख्या सीमित रखने पर जोर दिया गया।
2. जाति और धर्म पर टिप्पणी वाले गानों पर रोक -
किसी भी जाति, धर्म, या समुदाय को अपमानित करने वाले गाने नहीं बजाए जाएंगे।
3. साउंड कंप्टीशन पर रोक -
सड़कों पर डीजे की आवाज को लेकर प्रतिस्पर्धा नहीं की जाएगी।
4. संवेदनशील क्षेत्रों में सावधानी -
अस्पताल और स्कूल के पास डीजे की आवाज कम रखी जाएगी।
एंबुलेंस के लिए तुरंत रास्ता दिया जाएगा।
5. अशोभनीय संवाद पर प्रतिबंध -
माइक पर गलत या आपत्तिजनक संवाद नहीं बोले जाएंगे।
नियमों का पालन न करने पर कार्रवाई -
एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित यादव ने स्पष्ट किया कि जो डीजे संचालक इन नियमों का पालन नहीं करेगा, उसे एसोसिएशन से कोई मदद नहीं दी जाएगी। सभी जिलों की स्थानीय एसोसिएशन इन फैसलों को लागू कराने के लिए बैठकें कर रही हैं और डीजे संचालकों को जागरूक कर रही हैं।
सकारात्मक कदम -
इन निर्णयों का उद्देश्य समाज में भाईचारा बनाए रखना और डीजे बजाने के कारण होने वाले विवादों को रोकना है। एसोसिएशन का यह कदम स्थानीय स्तर पर विवाद और परेशानी को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।