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विश्व हिन्दू परिषद् के विराट संत सम्मेलन से हिन्दू समाज की एकजुटता का संदेश

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महाकुम्भ नगर, 25 जनवरी।

विश्व हिन्दू परिषद महाकुम्भ शिविर में विराट संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश के कोने-कोने से सभी मत, पंथ, संप्रदाय के हजारों धर्माचार्य, मार्गदर्शक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्ज्वलन के समय पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी, लिंग रिंपोचे, पूज्य भास्कर गिरि जी, पूज्य स्वामी जनार्दन जी, पूज्य मैत्रेय जी, पूज्य परमानंद गिरि जी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूज्य जगतगुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी ने की।

विश्व हिन्दू परिषद महाकुम्भ शिविर में आयोजित केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में पूज्य संतों द्वारा हिन्दू समाज के मार्गदर्शन के विषय में जो विचार आए, उन विषयों की चर्चा करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बंगड़ा जी ने कहा कि संत सम्मेलन में मार्गदर्शक मंडल में पूज्य संतों द्वारा दुनिया भर के हिन्दू समाज का मार्गदर्शन किया गया है, वह विषय देश भर में हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, हिन्दुओं की घटती जन्म दर से देश में हिन्दू जनसंख्या का असंतुलन, हर हिन्दू परिवार में कम से कम तीन बच्चों का जन्म हो, ऐसा आह्वान हिन्दू समाज के पूज्य संतों ने किया है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार सुनियोजित अत्याचार हो रहा है। भारत में भी कुछ तत्व हिन्दुओं को बांग्लादेश जैसी स्थिति उत्पन्न करने की धमकी दे रहे हैं। देश में हिन्दुओं को इस विषय पर गहन चिंतन करना चाहिए। वक्फ बोर्ड के निरंकुश व असीमित अधिकारों को सीमित करने के लिए केंद्र सरकार कानून सुधार अधिनियम ला रही है। इस पर सभी दलों के सांसदों का सहयोग होना चाहिए। सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण जैसे अनेक विषयों के संदर्भ में मार्गदर्शक मंडल की बैठक में चर्चा हुई थी।

प्रभाकर दास जी महाराज ने अपने संबोधन में हिन्दू समाज की एकता पर बल दिया, वहीं वाल्मीकि समाज से योगी उमेशनाथ जी महाराज ने हिन्दू समाज में घटती जनसंख्या के संबंध में बताया और यह निवेदन किया कि हिन्दू समाज अपनी जनसंख्या को बढ़ाए।

कार्यक्रम में उपस्थित गोरक्ष पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारत की सनातन परंपरा इस महाकुम्भ नगर में दिख रही है जो पूरी दुनिया देख रही है। यह संदेश पूरे देश के लिए दिव्य होना चाहिए, जिसके लिए विश्व हिन्दू परिषद का प्रयास अतुलनीय है। इस प्रयास का प्रतिफल आज विराट संत सम्मेलन के माध्यम से पूरी दुनिया देख रही है। जहां सभी मत पंथ संप्रदाय के धर्माचार्य एक साथ एक मंच पर विराजमान हैं। 1980 के बाद विश्व हिन्दू परिषद ने अपने सभी संकल्प इसी पवित्र भूमि मां गंगा जमुना सरस्वती के पावन तट पर लिये हैं जो आज हमें मूर्त रूप में दिख रहे हैं। सनातन धर्म 500 वर्षों से जिस दृश्य के लिए प्रतीक्षारत था, वह सपना भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली पर दिव्य और भव्य रूप में रामलाल विराजमान हैं। जहां वर्ष 2016  में दो लाख लोग दर्शन करते थे, वहीं वर्ष 2024 में 15 करोड लोग दर्शन कर रहे हैं। एक नई अयोध्या, एक नई काशी का भव्य और दिव्य रूप दिख रहा है। कुंभ का दर्शन, अविरल गंगा का दर्शन हो रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन रहेगा, तो धर्म रहेगा, उपासना रहेगी और संत रहेंगे। तभी मठ और मंदिर भी सुरक्षित रहेंगे। यह भारत की सदी है। संतों को देश की दिशा और दशा तय करनी है। यह भी कहा कि संतों को धैर्य से कार्य करते हुए बांटने वाली ताकतों से सावधान रहना चाहिए। श्री राम जन्मभूमि के बाद अब मथुरा और काशी का सपना साकार होने वाला है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने आशीर्वचन में कहा कि यह वही पुण्यभूमि है, जहां हिन्दू समाज के विषय में अनेक निर्णय पूज्य संतों  लिये हैं, इस मंच पर सभी सम्प्रदायों के धर्माचार्य एक साथ विराजमान होकर सनातन की एकता का संदेश पूरी दुनिया को दे रहे हैं।

कार्यक्रम में महाराज जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी, स्वामी वासुदेवाचार्य जी, महाराज युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि जी, पूजनीय आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी जी, महाराज पूज्य भास्कर किशन गिरी जी, सत्राधिकार जनार्दन देव गोस्वामी जी, भंते रिंपोचे, जैन साध्वी दीप्ति जी, पूज्य स्वामी विवेकानंद जी, के साथ विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक जी, केंद्रीय महामंत्री संगठन मिलिंद परांडे जी, केंद्रीय महामंत्री सह-संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडे जी, केंद्रीय संयुक्त महामंत्री कोटेश्वर शर्मा जी, नेपाल से पधारे पूज्य स्वामी चूड़ामणि चतुर्भुजाचार्य जी, प्रभाकर दास जी, श्रीलंका, कोरिया, वर्मा, तथा तिब्बत के बौद्ध, संत, लामा, पूज्य रविदास जन्मस्थान श्री महंत डॉ. भरत भूषण दास जी, जत्थेदार हरजोत सिंह जी, निहंग भानपुरा शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ जी, विश्व जागृति मिशन के संस्थापक सुधांशु जी महाराज, नाथ संप्रदाय से जितेन नाथ जी, संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंन्द सरस्वती जी, त्रिपुरा से चित महाराज, गहरा- गुरु परंपरा से आचार्य स्वामी बब्रुवाहन जी महाराज ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी जी ने किया।