नैनीताल, उत्तराखण्ड
नैनीताल में छात्राएं अनोखी कला से अद्भुत पर्दे तैयार कर रही हैं, ये पर्दे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा संदेश देने वाले हैं। दरअसल 1918 से श्री राम सेवक सभा मल्लीताल द्वारा नैनीताल की खूबसूरत वादियों में प्रत्येक वर्ष ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन किया जाता है। लेकिन इस बार एक अनूठी पहल के साथ रामलीला के मंचन की तैयारी की जा रही है। लगभग सौ साल से अधिक समय से चली आ रही इस रामलीला में इस बार प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह बंद कर दिया गया है। पहले जहाँ वृंदावन से प्रिंटेड प्लास्टिक के पर्दे लगाए जाते थे, वहीं इस वर्ष हस्तनिर्मित कला से सजाए गए पर्दे मंच को सजाएंगे। इन पर्दों को तैयार कर रही हैं स्थानीय छात्राएं। छात्राओं ने अपनी कला से इन पर्दों पर राम दरबार और रामलीला के विभिन्न प्रसंगों को बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाया है। ऐसे अनोखे और अद्भुत 11 पर्दे तैयार किए जा रहे हैं।
इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देना भी है। पर्दे बनाने वाली छात्राओं को उनके काम के लिए उचित मानदेय भी दिया जा रहा है। इस कदम से न केवल युवतियों को रोजगार का अवसर मिल रहा है, आत्मनिर्भर बन रह हैं, अपितु उनकी प्रतिभा को भी मंच मिल रहा है। रामलीला कमेटी का यह प्रयास परम्परा और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।