- अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी
हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद के विवाद में एक अहम फैसले में ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका कोर्ट के 11 जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती दे रही थी, जिसमें 15 मुकदमों को एक साथ मिलाने का निर्णय लिया गया था। हिंदू पक्ष ने यह याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि ढांचा को श्री कृष्ण के जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। इस आदेश को मस्जिद समिति ने चुनौती दी थी, क्योंकि उन्हें लगा था कि एक साथ कई मामलों को जोड़ने से उनकी स्थिति प्रभावित हो सकती है।
6 नवंबर 2024 को श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले की सुनवाई में अहम बिंदुओं पर चर्चा की गई। इस मामले में हिंदू भक्तों द्वारा दाखिल मुकदमे को लेकर मस्जिद के प्रबंधक समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए 15 हिंदू भक्तों द्वारा दायर मुकदमों को स्वीकार किया, और मस्जिद के प्रबंधक समिति की ओर से दाखिल अपील को स्थगित करने का फैसला लिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले को लेकर पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी
हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मस्जिद समिति को पहले फैसले पर आपत्ति उठाने का अवसर था, लेकिन उन्होंने उसे समय पर नहीं उठाया। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामलों को जोड़ने से उनके अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ता है, और वे अपनी दलीलें पूरी तरह से पेश कर सकते हैं।
विवाद का केंद्र मथुरा में स्थित वह स्थान है, जिसे हिंदू धर्म श्री कृष्ण का जन्म स्थान मानता है। उनका आरोप है कि ईदगाह ढांचा मुग़ल सम्राट औरंगजेब द्वारा एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। मस्जिद समिति ने इस दावे का विरोध किया है। इस मामले में अगली सुनवाई होनी है, जिसमें 18 संबंधित याचिकाओं पर विचार किया जाएगा।
विवाद का पूरा मामला:
यह विवाद मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान से जुड़ा है, जो हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थल माना जाता है। यह स्थान वर्तमान में ईदगाह मस्जिद के पास स्थित है, और यह विवाद दशकों पुराना है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब द्वारा एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। हिंदू समूहों का आरोप है कि इस ढांचा का निर्माण कृष्ण जन्मभूमि पर किया गया है, जो एक धार्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण था।
विवाद का इतिहास:
मंदिर तोड़कर ढांचे का निर्माण-
हिंदू पक्ष का कहना है कि औरंगज़ेब के शासनकाल में 1670 के आस-पास कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को तोड़ा गया और उस पर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। इस मस्जिद के निर्माण को लेकर विवाद लंबे समय से जारी है, क्योंकि हिंदू समुदाय इस स्थान को भगवान श्री कृष्ण के जन्म का स्थल मानते हैं।
कई मुकदमे-
हिंदू संगठनों और धार्मिक नेताओं ने इस विवाद को लेकर विभिन्न कानूनी मुकदमे दायर किए हैं, जिसमें मस्जिद को हटाने और मंदिर को फिर से स्थापित करने की मांग की जा रही है। इन मुकदमों में प्रमुखता से हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, जो अपने धार्मिक अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए अदालतों का रुख कर रहे हैं।
कानूनी लड़ाई –
2024 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका को खारिज करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। मस्जिद समिति ने याचिका दायर की थी, जिसमें कोर्ट से यह आग्रह किया गया था कि विभिन्न मुकदमों को एक साथ जोड़ने का फैसला बदला जाए। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय एक उचित प्रक्रिया है और इससे मस्जिद समिति के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता है।
सुनवाई की स्थिति-
इस मामले में अब 18 संबंधित याचिकाओं पर विचार किया जा रहा है। यह मामला पूरे भारत में धार्मिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसे लेकर भावनाओं का उबाल है, क्योंकि यह मुद्दा हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच गहरी सांप्रदायिक भावनाओं को प्रभावित करता है।
सांप्रदायिक संदर्भ-
यह विवाद न केवल मथुरा बल्कि पूरे देश में एक बड़ा धार्मिक मुद्दा बन चुका है, क्योंकि यह हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण स्थल से जुड़ा है और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आस्थाओं से भी संबंधित है। कई दशकों से दोनों के बीच इस स्थान को लेकर विवाद चला आ रहा है, जो अब अदालत में कानूनी रूप से निपट रहा है।