गुरुग्राम. नूंह में जलाभिषेक यात्रा के दौरान हुई हिंसा के मामले में आरोपियों के खिलाफ शिकंजा कसने वाला है. हरियाणा पुलिस ने फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा जोड़ी है. उनके खिलाफ नूंह के नगीना थाने में दर्ज एक मामले में यूएपीए के तहत आरोप जोड़े गए हैं. पुलिस ने कांग्रेस विधायक पर पूर्व में हिंसा भड़काने और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट साझा करने में शामिल संदिग्धों के संपर्क में रहने का आरोप लगाया था.
रिपोर्ट्स के अनुसार, जमानत पर चल रहे मामन खान को एक बार फिर से जमानत के लिए अदालत जाना पड़ेगा. जिसमें दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद न्यायालय का निर्णय आएगा.
नूंह में हुई हिंसा के दौरान बडकली चौक पर आगजनी, लूटपाट, सरकारी वाहनों को आग के हवाले करने और लोगों को भड़काने जैसी हिंसक घटनाओं में विधायक की संलिप्तता होने की बात सामने आई थी. जिसके बाद एसआईटी ने विधायक मामन खान को जांच में शामिल होने के लिए दो बार नोटिस दिया. लेकिन वह एक भी बार जांच में शामिल नहीं हुए. हालांकि गिरफ्तारी और जांच से बचने के लिए विधायक मामन खान ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली. जिसके बाद नूंह पुलिस की एक विशेष टीम ने आरोपी विधायक को 14 सितंबर, 2023 को जयपुर राजस्थान से गिरफ्तार किया. नगीना में दर्ज एफआईआर 149 में धारा 307, 395, 397, 348, 148, 149, 323, 436 इत्यादि धाराएं लगाई थी.
हिंसा मामले में पुलिस ने अलग–अलग थानों में करीब 61 मुकदमे दर्ज किए थे. जिन मुकदमों में यूएपीए लगाया गया है, वो मुकदमे दो होमगार्ड व एक बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या से जुड़ा हुआ है. आरोपियों पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 186, 342, 332, 353, 307, 302, 333, 395, 397 व 120बी और शस्त्र अधिनियम की धारा 25, 54 और 59 के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिनमें अब यूएपीए जोड़ा गया है. एफआईआर नंबर 253 और 257 दोनों में ओसामा को, FIR 401 में मुरसलीम निवासी पल्ला को नामजद किया गया है.
यूएपीए एक्ट
संसद ने 1967 में गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) को बनाया था. हालांकि, 2004, 2008, 2012 और 2019 में कानून में बदलाव किए गए. लेकिन 2019 के संशोधन में इसमें कठोर प्रावधान जोड़े गए, इसे आतंकवाद के खिलाफ, देश की एकजुटता और अखंडता को मजबूती देने वाला कानून बनाया गया. 2019 के संशोधनों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्थाओं को ही नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकी घोषित कर सकती है. इसमें जमानत मिलना बड़ा ही कठिन होता है. ऐसे में आरोपी आसानी से कानून की गिरफ्त से छूट नहीं पाते हैं. कानून के तहत किसी भी आरोपी की संपत्ति जब्त की जा सकती है. दोष सिद्ध होने पर दोषी को फांसी की सजा तक हो सकती है.