1 अप्रैल से 17 जुलाई तक फूल बंगला महोत्सव का
आयोजन किया जा रहा है। वहीं, शनिवार से देसी विदेशी रंग बिरंगे फूलों से सुसज्जित
फूल बंगले में विराजमान होकर ठाकुर बांके बिहारी ने श्रद्धालु भक्तों को दर्शन
देना शुरू कर दिया है। इस दौरान अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए भक्त
आतुर नजर आए। रविवार को अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए देश विदेश से आए
श्रद्धालु भक्तों का तांता लग गया।
गर्मियों
में भगवान बांके बिहारी फूल बंगले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
इन्हें पुराने समय में लता पताओं से बनी कुंज कहा जाता था। रोज सुबह-शाम बांके
बिहारी के लिए अलग-अलग फूल बंगले बनाए जाते हैं। देसी-विदेशी फूलों से बने बंगले
में विराजमान अपने आराध्य के दर्शनों के लिए भक्तों की जमकर भीड़ होती है।
बांके बिहारी मंदिर में बनने
वाले फूल बंगले एक से एक आकर्षक होते हैं। इसमें कई तरह के फूल लगते हैं। यहां
छोटे से छोटे फूल बंगले में कम से कम 3000 किलो फूलों का प्रयोग किया जाता
है। जिसमें 600 किलो बेला, 200 किलो गुलाब, 200 किलो कनेर, 500 किलो गेंदा, मार्गेट के अलावा 1000 बंडल विदेशी फूलों के होते हैं।
फूल
बंगले के लिए रोज अलग-अलग शहरों से फूल आता हैं। 30 प्रतिशत फूलों की सप्लाई मथुरा वृंदावन से की जाती है
तो बाकी फूल दिल्ली, मदुरै, कोलकाता और बेंगलुरु से आता है।
बाहर से आने वाले फूलों में ज्यादातर विदेशी फूल होते हैं। इसमें आर्किड, रजनीगंधा, विदेशी गुलाब, गुलदाबरी जैसे फूल होते हैं।
फूल
बंगले में प्रयोग होने वाले फूलों को उपयोग के बाद महिला आश्रय सदन भेज दिया जाता
है। जहां निराश्रित एवं विधवा माताएं इन फूलों को सुखा कर अगरबत्ती, गुलाल और धूप बत्ती बनाती हैं।
चैतन्य बिहार स्थित आश्रय सदन में रह रही महिलाएं प्रोजेक्ट ब्रज सुगंधा के तहत यह
कार्य करती हैं। इससे उनका मन भी लगा रहता है और उनके खर्च के लिए कुछ आमदनी भी हो
जाती है।