- सुप्रीम कोर्ट पहले ही ड्रिग्रियों को बता चुका है असंवैधानिक
उत्तरप्रदेश । भारत में मदरसों की डिग्रियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और उसके प्रभाव की खबरें चर्चा में हैं। यह मामला मुख्यतः उन छात्रों के भविष्य को लेकर चिंता पैदा कर रहा है, जो इन डिग्रियों के आधार पर अपनी शिक्षा और करियर को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे थे।
डिग्रियों का असंवैधानिक होना-
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह निर्णय दिया है कि कुछ मदरसों की डिग्रियाँ, विशेष रूप से वे जो सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं हैं या राज्य शिक्षा बोर्ड की मान्यताओं के अनुरूप नहीं हैं, संवैधानिक रूप से वैध नहीं हैं।
प्रभावित विद्यार्थी-
लगभग 37,000 छात्र ऐसे मदरसों में पढ़ाई कर रहे हैं, जो इस निर्णय से सीधे प्रभावित हो सकते हैं। उनकी शिक्षा और करियर के भविष्य पर अनिश्चितता छा गई है।
सरकारी मान्यता का अभाव-
कई मदरसे सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं हैं और उनकी शिक्षा प्रणाली राज्य या राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड के मानकों के अनुरूप नहीं है। इससे उनकी डिग्रियों की वैधता पर सवाल उठते हैं।
विकल्प और समाधान-
सरकार और शिक्षा विभाग पर दबाव बढ़ रहा है कि वे ऐसे विद्यार्थियों के लिए समाधान निकालें, जैसे कि इन्हें मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल करना।
- वैकल्पिक डिग्री या सर्टिफिकेशन प्रदान करना।
- मदरसों को राज्य मान्यता दिलाने की प्रक्रिया में सुधार करना।
- सरकार को इन छात्रों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत कदम उठाने होंगे।
- मदरसा शिक्षा प्रणाली में सुधार और इसे मुख्यधारा की शिक्षा के साथ जोड़ने के प्रयास महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षा और धार्मिक संस्थानों के बीच तालमेल बैठाने की आवश्यकता भी बढ़ गई है।