- गद्दीस्थलों पर श्रद्धालुओं के आगमन से स्थानीय लोगों की आजीविका को सहारा मिलेगा
उत्तराखंड। चारधाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के मंदिरों से जुड़ी यह खबर धार्मिक पर्यटन और श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। शीतकाल के दौरान, जब चारधाम के मुख्य मंदिर बर्फबारी और कठिन मौसम के कारण बंद रहते हैं, गद्दीस्थलों पर पूजा-अर्चना और दर्शन की सुविधा प्रदान की जाएगी। यह कदम श्रद्धालुओं की भावनाओं और धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
क्या हैं गद्दीस्थल?
गद्दीस्थल उन स्थानों को कहा जाता है जहां सर्दियों में चारधाम की मूर्तियां और प्रतीक स्वरूप देवताओं की गद्दियां (धार्मिक आसन) लाई जाती हैं। इन स्थलों पर भगवान की पूजा-अर्चना उसी प्रकार की जाती है, जैसे मुख्य मंदिरों में होती है।
गद्दीस्थलों की जानकारी:
केदारनाथ - ओंकारेश्वर मंदिर (उखीमठ) में भगवान केदारनाथ की गद्दी लाई जाती है।
गंगोत्री - मुखबा गांव में गंगोत्री माता की गद्दी लाई जाती है।
यमुनोत्री - खरसाली गांव में मां यमुना की पूजा होती है।
श्रद्धालुओं के लिए लाभ:
पूजा और दर्शन का निरंतर अवसर -
पहले सर्दियों में चारधाम के कपाट बंद हो जाने पर श्रद्धालु दर्शन नहीं कर पाते थे। अब गद्दीस्थलों पर भी वे पूजा कर सकेंगे।
मौसम की चुनौतियों से बचाव -
शीतकालीन मौसम में चारधाम यात्रा बेहद कठिन और खतरनाक होती है। गद्दीस्थलों पर दर्शन से यह जोखिम कम होगा।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा -
इन गद्दीस्थलों पर श्रद्धालुओं के आगमन से स्थानीय लोगों की आजीविका को सहारा मिलेगा, और पर्यटन का विस्तार होगा।
प्रशासन की तैयारियां:
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए गद्दीस्थलों पर व्यवस्था की जा रही है। ठंड के मौसम में आवास, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यातायात और आवागमन के लिए भी सरकार की ओर से प्रबंध किए जा रहे हैं।
धार्मिक महत्व:
गद्दीस्थलों पर पूजा-अर्चना करने का महत्व वही माना जाता है, जैसा मुख्य मंदिर में होता है। यह कदम उन श्रद्धालुओं के लिए बड़ा राहतभरा है, जो शीतकाल में भी अपनी आस्था को पूरा करना चाहते हैं।