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RSS -गोरक्ष प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग और घोष शिक्षा वर्ग का प्रकट समारोह संपन्न

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बलिया

जिले के चितबड़ागांव स्थित जमुनाराम मेमोरियल स्कूल में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, गोरक्ष प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) व घोष शिक्षा वर्ग का प्रकट समारोह गुरुवार 05 जून दिन गुरुवार को देर रात्रि पूरी दिव्यता व भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत प्रणाम, ध्वजारोहण और प्रार्थना के साथ हुई। इसके पश्चात शिक्षार्थियों ने प्रभावशाली शारीरिक प्रदर्शन प्रस्तुत किया।


मंचस्थ अतिथियों में इस प्रकट समारोह के मुख्य अतिथि जखनियां गाजीपुर स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ के मठाधीश्वर व जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर पूज्य भवानीनन्दन यति जी महाराज, मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख मंगेश जी भेंडे, इस वर्ग के सर्वाधिकारी निर्मलचंद्र यादव, घोष शिक्षा वर्ग के वर्गाधिकारी रामसिंगार व बलिया विभाग के विभाग संघचालक राम प्रताप थे। समापन सत्र में वर्ग कार्यवाह विनय सिंह ने मंचस्थ अतिथियों का परिचय कराया। वर्ग के सर्वाधिकारी निर्मल चन्द्र ने संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) व घोष शिक्षा वर्ग के वर्गाधिकारी रामसिंगार ने घोष शिक्षा वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा धन्यवाद ज्ञापन वर्ग के सर्व व्यवस्था प्रमुख अरुण मणि द्वारा किया गया।उल्लेखनीय है कि यह वर्ग गत 21 मई 2025 की संध्या, भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ हुआ था।


एकलगित के पश्चात मुख्य वक्ता श्री मंगेश जी भेंडे ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विकास में प्रशिक्षण वर्ग का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज हम जिस प्रशिक्षण वर्ग में बैठें हैं वो सन 1927 में प्रारम्भ हुआ था। इस विजयादशमी उत्सव पर संघ अपना सौवां वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि संघ के संस्थापक परम पूज्य डॉ0 केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने संघ की नींव डाली। डॉ0 हेडगेवार जी जन्मजात देशभक्त थे। इसका एक उदाहरण इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि जब  महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर विद्यालयों में बांटी जा रही थी तब बालक केशव ने उस मिठाई को कूड़े में फेंक दिया और साथियों को भी प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जिन्होंने हमारे देश को गुलाम बनाया उसका हम जन्मदिन क्यों मनाएं। जब वो मैट्रिक में पढ़ाई कर रहे थे तब वो वन्देमातरम आंदोलन में कूद पड़े और कहा कि जिस स्कूल में भारत माता की जय नहीं होगा  उस स्कूल में मैं कदम भी नहीं रखूंगा। स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

उन्होंने आगे बताया कि भारत की स्वतंत्रता में भाग लेने व क्रांतिकारी बनने की इच्छा से  मेडिकल की पढ़ाई के बहाने वो कलकत्ता गए जहां वो क्रांतिकारियों के संगठन अनुशीलन समिति के सदस्य बने जहां क्रांतिकारियों ने उन्हें कोकेन नाम से सम्बोधित किया। उन्होंने आगे कहा कि सन 1916 में परम् पूज्य डॉ0 हेडगेवार जी जब मेडिकल की शिक्षा पूर्ण कर वापस आये तभी उनके मन में हिन्दू संगठन की स्थापना का विचार आया जो राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर कार्य करेगा। संघ की स्थापना उन्होंने सन 1925 में की। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि संघ की स्थापना अचानक से नहीं हो गया, बल्कि  उसकी स्थापना के पीछे डॉ0 हेडगेवार जी की वर्षों कीये चिंतन व मनन का परिणाम था जो संघ की स्थापना के 10 वर्षों पूर्व डॉ0 हेडगेवार जी के विचार में आया था। उन्होंने आगे कहा कि डॉ0 हेडगेवार भारत को परम वैभव पर ले जाने व विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने की दृढ़ प्रतिज्ञ थे जिसे उन्होंने साकार किया। उन्होंने आगे बताया कि डॉ0 हेडगेवार जी ने संघ के प्रथम सरसंघचालक के रूप में 15 वर्ष तक कार्य किया। इस अवधि में डॉ0 साहब ने शाखाओं के माध्यम से संघ को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया।


उन्होंने आगे बताया कि संघ सौ वर्ष पूरे करने जा रहा है। आज संघ दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज देश में 85 हजार शाखा चल रहीं है तथा आज स्वयंसेवक हर क्षेत्र में अग्रसर हैं। आज 1 लाख 40 हजार सेवा कार्य संघ के स्वयंसेवक कर रहें हैं। उन्होंने पंच परिवर्तन के विषय में बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए पिछले लगभग 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से संघ ने समाज में पंच परिवर्तन यथा स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता एवं कुटुम्ब प्रबोधन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे।  इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। 

उन्होंने आगे बताया कि स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता व सद्भाव से ऊंच-नीच जाति भेद समाप्त होंगे। पर्यावरण से सृष्टि का संरक्षण होगा तथा कुटुम्ब प्रबोधन से परिवार बचेंगे और बच्चों में संस्कार बढ़ेंगे। समाज में बढ़ते एकल परिवार के चलन को रोक कर भारत की प्राचीन परिवार परंपरा को बढ़ावा देने की आज महती आवश्यकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हथियाराम मठ के मठाधीश्वर व जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर पूज्य भवानीनन्दन यति जी महाराज ने कहा कि स्वयंसेवकों की कठिन साधना और परिश्रम, आत्मबल उनको निश्चित ही सफलता के शिखर पर लेकर जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य ईश्वरीय कार्य है जो विभिन्न्न विघ्न बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य को पूर्ण करती है। उन्होंने आगे कहा कि संघ व उसके स्वयंसेवक स्वयं का राज नहीं बल्कि रामराज्य की अभिलाषा रखतें हैं। उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीयता का उन्नयन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से ही होगा। इसके साथ ही उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षार्थियों के उज्ज्वल भविष्य व यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया।

वर्ग के संचालन हेतु 43 प्रशिक्षक और 54 कार्यकर्ता व्यवस्था में लगे थे। प्रतिदिन सुबह 4 बजे से रात्रि 10 बजे तक अनुशासित रूप से शारीरिक एवं बौद्धिक प्रशिक्षण आयोजित होता रहा। प्रत्येक दिन का शुभारंभ ‘एकात्मता स्तोत्र’ व संघ प्रार्थना से होता था।

समापन समारोह में प्रान्त प्रचारक रमेशजी, सह प्रान्त प्रचारक सुरजीत, वर्ग पालक सुरेश शुक्ल, प्रान्त शारीरिक शिक्षण प्रमुख तुलसीराम, बलिया विभाग के विभाग प्रचारक अम्बेश के साथ संघ के विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता, स्वयंसेवक, विभिन्न वैचारिक संगठनों के पदाधिकारी और समाज के विभिन्न वर्गों के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।