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संस्कृत विश्वविद्यालय और नागरी प्रचारिणी सभा की दुर्लभ पांडुलिपियों को मिलेगा संरक्षण, आम बजट में प्रावधान

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- इस पहल से बनारस में संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएचयू, कबीर मठ, भारत कला भवन और तुलसी मंदिर जैसी संस्थाओं में संग्रहित पांडुलिपियों को सुरक्षित और संरक्षित किया जाएगा

- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई इस घोषणा को संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिहारी लाल शर्मा ने ऐतिहासिक और ज्ञान परंपरा के संरक्षण में बड़ा कदम बताया है  

वाराणसी। संस्कृत विश्वविद्यालय और नागरी प्रचारिणी सभा में रखी गईं हजारों वर्षों पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने आम बजट में विशेष प्रावधान किया है। इस पहल से बनारस में संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएचयू, कबीर मठ, भारत कला भवन और तुलसी मंदिर जैसी संस्थाओं में संग्रहित पांडुलिपियों को सुरक्षित और संरक्षित किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई इस घोषणा को संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिहारी लाल शर्मा ने ऐतिहासिक और ज्ञान परंपरा के संरक्षण में बड़ा कदम बताया है।  

संस्कृत विश्वविद्यालय में संरक्षित दुर्लभ ग्रंथ - 

संस्कृत विश्वविद्यालय में करीब दो लाख पांडुलिपियां संरक्षित हैं, जिनमें तुलसीदास, कबीरदास और अन्य संतों द्वारा लिखी गईं अमूल्य पांडुलिपियां शामिल हैं। इनमें स्वर्ण और ताम्र पत्रों पर लिखी पांडुलिपियां भी मौजूद हैं। इसके अलावा, रास पंचाध्यायी सचित्र, वर्मी लिपि, बौद्ध, जैन, भक्ति कला और संगीत से जुड़ी कई पांडुलिपियां भी यहां संरक्षित हैं। कई ग्रंथ इतने प्राचीन हैं कि उन्हें उठाने में विशेष सावधानी बरती जाती है।  

नागरी प्रचारिणी सभा में 50 हजार से अधिक पांडुलिपियां -  

नागरी प्रचारिणी सभा में 50 हजार से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियां संरक्षित हैं, जिनमें कुल 5 लाख पन्ने हैं। सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ला ने बताया कि इनमें कई महत्वपूर्ण साहित्यकारों और दार्शनिकों के लेखन मौजूद हैं, जिनसे किताबें प्रकाशित की जाती हैं। इस बजट से इन पांडुलिपियों के संरक्षण को अत्यधिक सहायता मिलेगी।  

विद्वानों और संतों की कृतियां संरक्षित -  

नागरी प्रचारिणी सभा में अयोध्या से मंगाई गई तुलसीदास की कृतियां, कबीरदास, रैदास, विद्यापति, पीपा, प्रेमचंद, रामचंद्र शुक्ल सहित सैकड़ों साहित्यकारों की पांडुलिपियां संरक्षित हैं। इनमें हिंदी, अवधी, बुंदेलखंडी, ब्रज, अपभ्रंश, पिंगल और मैथिली सहित कई भाषाओं की पांडुलिपियां हैं।  

संरक्षण के लिए सरकार की पहल - 

संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि यह बजट अत्यंत संतुलित है और इससे भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण होगा। विश्वविद्यालय पहले से ही पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए कार्यरत था, और अब बजट मिलने से इस कार्य में और तेजी आएगी।  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी सराहना -  

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले भी संस्कृत विश्वविद्यालय में पांडुलिपियों के संरक्षण के प्रयासों की सराहना की थी। इस बजट प्रावधान से अब इन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जाएगा। संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण के लिए सरकार की यह पहल एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे इन दुर्लभ पांडुलिपियों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सकेगा।