पुण्य स्मरण 13 मई
10 अक्टूबर 1906 - 13 मई 2001 प्रख्यात उपन्यासकार पुण्य तिथि पर कोटि-कोटि नमन
रासीपुरम कृष्णस्वामी नारायणस्वामी एक भारतीय लेखक थे, उन्हेंआर. के. नारायण नाम से ज्यादा जाना जाता है। उन्होंने अपने लेखन में भारतीय जन-जीवन, भारतीय मूल्यों और भारत के लोक मानस को दर्शाया है। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुडी के माध्यम से अनेक कहानियां लिखीं। अंग्रेजी भाषा में भारतीय लोक संस्कृति को दर्शाने वाले साहित्यकार के रूप में वे आज भी स्मरण किये जाते हैं।
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वसंतराव कृष्णराव ओक
13 मई 1914–09 अगस्त 2000 स्वतन्त्रता सेनानी जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन
वसंतराव कृष्णराव ओक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रारंभिक प्रचारकों में से एक थे।संघके संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के सुझाव पर वसंतराव 1936 में कक्षा 12 उत्तीर्ण कर शाखा खोलने के लिए दिल्ली आ गये।
यहां रहकर वसंतराव ने एम.ए. तक की पढ़ाई की और दिल्ली प्रांत में शाखाओं का जाल भी फैलाया। आज का दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, अलवर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश उस समय दिल्ली प्रांत में ही था। वसंतराव के परिश्रम से इस क्षेत्र में संघ की शाखाओं का अच्छा तंत्र खड़ा हुआ।
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सैयद फ़ज़ल-उल-हसन ‘हसरत मोहानी’
1 जनवरी 1875 - 13 मई 1951 स्वतन्त्रता सेनानी एवं राष्ट्रनिष्ठ साहित्यकार
पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन
उन्नाव में जन्में सैयद फ़ज़ल-उल-हसन ‘हसरत मोहानी’ एक राष्ट्रनिष्ठ लेखक एवं स्वाधीनता सेनानी थे। उन्होंने ही “इंकलाब जिंदाबाद” का प्रसिद्ध नारा दिया था।वन्देमातरम के समान ही इस नारे ने भी ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिला दी थी।वे कृष्ण भक्तभी थेऔर जन्माष्टमी मनाने के लिए मथुरा जाते थे।उन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की आलोचना करने के कारण तीन बार कॉलेज से निकाला गया । वह बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व वाले गरमदल के उन नेताओं में थे जिन्होंने जोर-शोर से पूर्ण स्वराज की मांग की थी ।
1925 में वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए किन्तु जल्दी ही उनका साम्यवाद से मोह भंग हो गया। उन्होंने अपनी 'आज़ाद पार्टी' बनाई। 1936 में वह मुस्लिम लीग में भीशामिल हुए किन्तु इसके 'दो राष्ट्र सिद्धांत' काविरोध करते हुए उन्होंनेमुस्लिम लीग को भी त्याग दिया। उन्हेंअपनी मातृभूमि से असीम प्यार था इसलिए विभाजन के बादउन्होंने भारत में ही रहने का निर्णयलिया।