नई दिल्ली. अभिभावक बच्चों को हेल्थ ड्रिंक के नाम पर बॉर्नविटा बड़े शौक से पिलाते हैं, और बच्चों का भी यह पसंदीदा ड्रिंक है. लेकिन अब इसे लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को एडवाइज़री जारी कर उन्हें अपने प्लेटफार्म से बॉर्नविटा को ड्रिंक और बेवरेज की हेल्थ ड्रिंक की कैटेगरी से हटाने के लिए कहा है. यानि अब बॉर्नविटा को हेल्थ ड्रिंक नहीं माना जाएगा. मंत्रालय की ओर से ई-कॉमर्स कंपनियों को एडवाइज़री 10 अप्रैल को जारी की गई थी.
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा तय नियमों और रेगुलेशन के तहत हेल्थ ड्रिंक की कोई परिभाषा तय नहीं की गई है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तहत गठित एक समिति ने सीपीसीआर अधिनियम 2005 की धारा 14 के तहत जांच की. इसके बाद यह तय किया कि FSSAI अधिनियम के तहत किसी भी हेल्थ ड्रिंक को डिफाइन नहीं किया गया है.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने माह के प्रारंभ में ई-कॉमर्स वेबसाइट से डेयरी, अनाज आधारित ड्रिंक पदार्थ को हेल्थ ड्रिंक या एनर्जी ड्रिंक की कैटेगरी के तहत नहीं डालने के लिए कहा था. हेल्थ ड्रिंक शब्द को भारत के खाद्य कानून में परिभाषित नहीं किया गया है.
2 अप्रैल को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों से कहा था कि वे अपनी वेबसाइट्स पर बेचे जाने वाले फूड प्रोडक्ट्स को उचित कैटेगरी में डालें. साथ ही किसी भी पेय पदार्थ की बिक्री बढ़ाने के लिए हेल्थ ड्रिंक और एनर्जी ड्रिंक जैसे शब्दों का दुरुपयोग नहीं करने के लिए कहा था.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने पिछले साल बोर्नविटा बनाने वाली कंपनी मोंडेलेज इंटरनेशनल इंडिया लिमिटेड को नोटिस भेजा था. उसमें कहा गया था कि इस प्रोडक्ट में काफी मात्रा में शूगर होने की शिकायत मिली है. कुछ ऐसे तत्व भी हैं जो बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. लिहाजा कंपनी अपने प्रोडक्ट के सभी भ्रामक विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबल की समीक्षा करे और उन्हें वापस ले.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन एनर्जी ड्रिंक और स्पोर्ट्स ड्रिंक का वर्तमान में मार्केट साइज 4.7 बिलियन डॉलर है, जो 2028 तक 5.71% की CAGR ग्रोथ के साथ से बढ़ने की उम्मीद है.