वक्फ कानून के विरोध की आड़ में देश को हिंसा की आग में झौंकने के बाज आए सेक्युलर-जिहादी गठजोड़ – विश्व हिन्दू परिषद
- उन्होंने स्मरण कराया कि यह कानून वही है, जिसको लेकर लगभग एक करोड़ भारतीयों ने अपनी राय दी थी तथा संसद के दोनों सदनों में 25 घंटे से अधिक की ऐतिहासिक चर्चा हुई थी। इसके बावजूद देश का सेक्यूलर जिहादी गठजोड़ देश को दंगों की आग में झौंकने का कुत्सित प्रयास कर रहा है, जिससे उसे बाज आना चाहिए।
- वक्फ बोर्ड के नाम पर चल रहे लैंड माफिया और मुस्लिम वोटों पर अपना एकाधिकार मानने वाले सेक्युलर माफिया को चिंता केवल अपने स्वार्थ की है। लैंड माफिया को चिंता है उनके द्वारा हड़पी गई जमीन छिन जाने की, तो सेक्युलर माफिया को चिंता है मुस्लिम वोटों पर उनके कथित एकाधिकार के समाप्त होने की।
नई दिल्ली, । पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद लगातार चौथे दिन दंगों की आग में झुलस रहा है। विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने वक्फ कानून के विरोध में संपूर्ण देश को दंगों की आग में जलाने की तैयारी की आशंका व्यक्त की।
उन्होंने स्मरण कराया कि यह कानून वही है, जिसको लेकर लगभग एक करोड़ भारतीयों ने अपनी राय दी थी तथा संसद के दोनों सदनों में 25 घंटे से अधिक की ऐतिहासिक चर्चा हुई थी। इसके बावजूद देश का सेक्यूलर जिहादी गठजोड़ देश को दंगों की आग में झौंकने का कुत्सित प्रयास कर रहा है, जिससे उसे बाज आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून बनने के बाद इसके विरोध में 18 से अधिक याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की जा चुकी हैं। संविधान की दुहाई देने वालों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी। ऐसा लगता है कि देश के संविधान की दुहाई देने वालों को न देश के संविधान की चिंता है, ना न्यायपालिका के सम्मान की।
वक्फ बोर्ड के नाम पर चल रहे लैंड माफिया और मुस्लिम वोटों पर अपना एकाधिकार मानने वाले सेक्युलर माफिया को चिंता केवल अपने स्वार्थ की है। लैंड माफिया को चिंता है उनके द्वारा हड़पी गई जमीन छिन जाने की, तो सेक्युलर माफिया को चिंता है मुस्लिम वोटों पर उनके कथित एकाधिकार के समाप्त होने की।
डॉ. जैन ने कहा कि इन दोनों के अपवित्र गठबंधन का वीभत्स स्वरूप 2013 में गुरुग्राम में सामने आया था, जब वहाँ पालम विहार के पार्क की जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित किया था और नमाज के नाम पर जमावड़ा इकट्ठा किया जा रहा था। तत्कालीन कांग्रेस की राज्य सरकार ने उनकी हां में हां मिलाई थी, जबकि किसी के पास कोई सबूत नहीं था। दिल्ली में अरबों-खरबों रुपये मूल्य की 123 सरकारी संपत्तियों पर भी दावा ठोका था, जिन्हें तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने 2014 में आम चुनाव घोषित होने के दिन ही उन्हें थाली में परोस कर फ्री में दे दिया था।
जागरुक समाज, सजग न्यायपालिका और हिन्दू संगठनों के अथक प्रयास के कारण दोनों षड्यंत्र विफल हुए। लेकिन वक्फ कानून में 2013 के संशोधनों के आधार पर संपूर्ण देश में वक्फ के दावों की झड़ी सी लग गई, ऐसा लग रहा था मानो पूरे देश को ही वक्फ की संपत्ति घोषित करके कुछ लोगों की निजी मलकीयत बना दी जाएगी।
कानून पास होने के बाद उन्हें विरोध करने का तो अधिकार है। किन्तु, इसके नाम पर दंगे करने का नहीं। इस अपवित्र गठबंधन ने इसी तरह देश को बंधक बनाकर भारत का विभाजन करवाया था और शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध कानून बनवा लिया था। किन्तु, स्मरण रहे कि अब देश को बंधक बनाना संभव नहीं है। मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग ओवैसी जैसे नेताओं की असलियत को समझता है और देश की जनता सेक्युलर माफियाओं को बखूबी जान चुकी है।