ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में आगामी 20 से 24 अक्टूबर
तक आयोजित होने वाले रामलीला के संदर्भ में आज शबरी रामलीला कमेटी के तरफ से
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद
सरस्वती महाराज ने कहा कि परमार्थ निकेतन में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रामलीला में
उड़ीसा, मध्य
प्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ के आदिवासी और जन कलाकार द्वारा रामलीला का मंचन किया
जाएगा। ऋषिकेश में गंगा स्नान, गंगा आरती के साथ साथ आदिवासी रामलीला का मंचन देखने को
मिलेगा।
मां शबरी के पात्र पर
स्वामी चिदानंद ने कहा कि मां शबरी का रामायण में जो महत्व है, वह
भिन्न है, उसे
रामायण मंचन के माध्यम से बताया जाएगा। इससे समाज में समरसता लाना है, भ्रमित
होने से बचाना है ताकि समाज में समता, समरसता और सद्भाव लाया जा सके।उन्होंने कहा कि हम चाहते
हैं कि मां शबरी रामलीला के माध्यम से संपूर्ण देश में शबरी कथा बहे। भगवान राम का
चरित्र यही संदेश देता है कि जड़ मूल्य से जुड़े रहो, परिवार
और संस्कार मूल्यों की परिभाषा भगवान राम के आदर्श जीवन से देखने को मिलती है।