- लगभग 50 लाख रुपये की लागत से बने इस मॉडल मदरसे में बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ संस्कृत को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ने का अवसर मिलेगा।
- पारंपरिक पाठ्यक्रम का समापन: अब बच्चों को मुंशी और मौलवी जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाए जाएंगे।
उत्तराखंड। उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड के अंतर्गत संचालित 117 मदरसों में आगामी शिक्षा सत्र से बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अब इन मदरसों में तहतानिया और फौकानिया जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाए जाएंगे। इसके स्थान पर उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। यह निर्णय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स द्वारा लिया गया है।
मॉडल मदरसे की स्थापना -
राज्य के पहले मॉडल मदरसे की स्थापना देहरादून रेलवे स्टेशन के पास मुस्लिम कॉलोनी में की गई है। लगभग 50 लाख रुपये की लागत से बने इस मॉडल मदरसे में बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ संस्कृत को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ने का अवसर मिलेगा।
नई पहलें -
1. शारीरिक शिक्षा का प्रशिक्षण: पूर्व सैनिक इस मॉडल मदरसे में छात्र-छात्राओं को शारीरिक शिक्षा का प्रशिक्षण देंगे, ताकि उनमें देशभक्ति की भावना विकसित हो सके।
2. संस्कृत के शिक्षक: संस्कृत के लिए योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि बच्चे इस प्राचीन भाषा को भी सीख सकें।
3. पारंपरिक पाठ्यक्रम का समापन: अब बच्चों को मुंशी और मौलवी जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाए जाएंगे।
अवैध मदरसों पर कार्रवाई -
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने यह भी बताया कि राज्य में कई अवैध रूप से संचालित मदरसे हैं। इन मदरसों को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
भविष्य की योजनाएं -
इस मॉडल मदरसे की तैयारियों का निरीक्षण आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार द्वारा फरवरी में किया जाएगा। इसके बाद मार्च में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मदरसे का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। वक्फ बोर्ड का उद्देश्य है कि इन बदलावों के माध्यम से मदरसों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और सही दिशा प्रदान की जा सके।
उत्तराखंड में मदरसों में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था लागू करने का यह कदम बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। वक्फ बोर्ड का यह प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ देशभक्ति और संस्कृत जैसे विषयों को बढ़ावा देने की दिशा में एक अनोखी पहल है।