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गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर उत्तर प्रदेश की झांकी : महाकुंभ के दर्शन से झलकी सांस्कृतिक विरासत

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- झांकी ने प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष को प्रभावी तरीके से दर्शाया

- प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित हो रहे महाकुंभ को लेकर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि इस बार कुंभ में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है।

लखनऊ। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर उत्तर प्रदेश की झांकी ने प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और महाकुंभ के महत्व को प्रस्तुत किया। झांकी ने प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष को प्रभावी तरीके से दर्शाया।  

महाकुंभ का महत्व और झांकी का आकर्षण -  

उत्तर प्रदेश की झांकी में महाकुंभ के आयोजन का जीवंत चित्रण किया गया, जिसमें संगम पर श्रद्धालुओं की भीड़ और महाकुंभ के भव्य दृश्य को प्रदर्शित किया गया। झांकी में प्रयागराज के धार्मिक महत्व और कुंभ स्नान की परंपरा को भी रेखांकित किया गया। झांकी में प्रयागराज महाकुंभ के साथ-साथ राज्य की अन्य सांस्कृतिक विशेषताओं की झलक देखने को मिली। इससे पहले अयोध्या के राम मंदिर को भी महाकुंभ की झांकी का हिस्सा बनाया गया था।  

महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भागीदारी -

प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित हो रहे महाकुंभ को लेकर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि इस बार कुंभ में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है। बीते 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर करीब 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।  

कर्तव्य पथ पर यूपी की संस्कृति की प्रस्तुति - 

गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर आयोजित परेड में देश की विविध संस्कृतियों को दर्शाने वाली झांकियां प्रस्तुत की गईं। उत्तर प्रदेश की झांकी ने न केवल महाकुंभ के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि यह आयोजन राज्य की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है।  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश -  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांकी की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की संस्कृति और महाकुंभ की परंपरा को कर्तव्य पथ पर प्रस्तुत करना पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है।  उत्तर प्रदेश की झांकी ने गणतंत्र दिवस पर देश और दुनिया को राज्य की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का कार्य किया। महाकुंभ जैसे आयोजनों ने न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी बढ़ावा दिया है।