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कश्मीर में शांतिपूर्ण वातावरण से घबराए आतंकी : नरेंद्र ठाकुर

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कश्मीर में शांतिपूर्ण वातावरण से घबराए आतंकी : नरेंद्र ठाकुर 


- प्रेरणा मीडिया संस्थान में पत्रकार मिलन कार्यक्रम का आयोजन  


नोएडा: जम्मू-कश्मीर में सब कुछ शांतिपूर्वक चल रहा था। लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व — लोकसभा चुनाव भी शांति से संपन्न हुआ। विकास धीरे-धीरे गति पकड़ रहा था। देश-विदेश से यात्रियों का निरंतर आना-जाना हो रहा था। यह सब देखकर पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों की बेचैनी बढ़ गई थी। उनका उद्देश्य प्रारंभ से ही कश्मीर के विषय को जीवित बनाए रखना और वहां की सुख-शांति तथा समृद्धि को बाधित करना रहा है।


यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने कही। वे नोएडा के सेक्टर-62 स्थित प्रेरणा मीडिया संस्थान में आयोजित पत्रकार बंधुओं के साथ भेंट कार्यक्रम में बोल रहे थे।


नरेंद्र ठाकुर ने कहा- "यह बात निश्चित है कि जितनी सुरक्षा व्यवस्था वहां होनी चाहिए थी, वह नहीं थी। भविष्य में इस विषय पर गंभीर विचार होना चाहिए।"


उन्होंने उत्तर-पूर्व भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि आज से पंद्रह वर्ष पूर्व मणिपुर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में दबंग लोग सड़क निर्माण तक नहीं होने देते थे। ठेकेदारों से अत्यधिक धन की मांग की जाती थी, जिससे विकास रुक जाता था। किंतु अब परिस्थिति बदल गई है  विकास के कार्य तीव्र गति से हो रहे हैं।


कश्मीर में भी वैसी ही स्थिति बन रही थी विगत कई महीनों से वहां कोई बड़ा विवाद उत्पन्न नहीं हुआ था। देशभर से यह स्वर उठने लगा था कि पाकिस्तान के अधीन जो भारतीय भूभाग है, वह भारत का अभिन्न अंग है और उसे वापस मिलना ही चाहिए।


ऐसे समय में विकास यात्रा को रोकने और जनमानस का ध्यान भटकाने के लिए हिंदुओं को लक्षित कर हमला किया गया।
उन्होंने संकेत किया कि इस घटना के पीछे वक्फ बोर्ड से जुड़े प्रावधानों का भी प्रभाव हो सकता है। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट हो रहा है कि अब आतंकवादियों को स्थानिक लोगों का समर्थन धीरे-धीरे घट रहा है


ठीक वैसे ही जैसे पंजाब में खालिस्तान का अंत हुआ था।" हालांकि नरेंद्र ठाकुर ने यह भी जोड़ा कि, "यह कह देना अभी शीघ्रता होगी कि कश्मीर में आतंकवादियों को पूरी तरह स्थानिक समर्थन समाप्त हो चुका है। इसमें कुछ समय लगेगा। सरकार अपनी योजना के अनुसार कार्य कर रही है। हमें उस पर विश्वास रखना चाहिए और हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हमें अपनी शक्ति और एकता का परिचय देना चाहिए।"


हिंदू समाज के जागरण की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कुंभ महापर्व और श्रीराम मंदिर निर्माण जैसे अवसरों पर लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने यह संकेत दिया है कि हिंदू समाज जाग चुका है।


उन्होंने कहा, "किन्तु अभी हमारी एकता में कहीं-कहीं कमी है। हमें केवल शासन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमारे भी कुछ नैतिक कर्तव्य हैं, जिन्हें पूरा करना हमारा दायित्व है।"


संघ के पंच परिवर्तन अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संघ गत शताब्दी से समाज को जाग्रत करने का कार्य कर रहा है। पंच परिवर्तन के पांच प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं —


1. सामाजिक समरसता
संघ का विश्वास है कि भारतीय समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं है। जातिभेद, भेदभाव और अस्पृश्यता का समूल नाश कर समरस समाज का निर्माण आवश्यक है, क्योंकि समरसता के बिना राष्ट्रशक्ति का जागरण संभव नहीं।


2. नागरिक कर्तव्य
वर्तमान समय में केवल अधिकारों की नहीं, अपितु कर्तव्यों की भी चर्चा अत्यंत आवश्यक है। संघ प्रत्येक नागरिक में देशभक्ति, कर्तव्यपरायणता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जाग्रत करने का कार्य कर रहा है।


3. 'स्व' का बोध
व्यक्ति और राष्ट्र का संबंध अत्यंत गहन है। अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े बिना सशक्त भारत का निर्माण नहीं हो सकता। संघ प्रत्येक व्यक्ति से अपनी पहचान, अपनी परंपरा और अपने स्वाभिमान को पहचानने का आह्वान करता है।


4. कुटुंब प्रबोधन
परिवार ही जीवन के प्रथम संस्कार स्थल हैं। संघ कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से पारिवारिक मूल्यों, संवाद और सहजीवन की भावना को बल प्रदान कर रहा है ताकि परिवार विघटन से बच सकें।


5. पर्यावरण संरक्षण
प्रकृति के प्रति आभार और संवेदनशीलता संघ के संस्कारों का अभिन्न अंग है। वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु संघ विभिन्न उपक्रम चला रहा है।


इस अवसर पर नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि इन पंच क्षेत्रों में परिवर्तन का प्रयास भारतवर्ष को एक सशक्त, समरस और स्थायी राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में संघ का अविराम प्रयास है।