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सिरासू: जहां नवाचार ने रचा विकास का गीत और पलायन को दिया विराम!

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पौड़ी, उत्तराखण्ड : उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले का सिरासू गांव आज ग्रामीण नवाचार और आत्मनिर्भरता की एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुका है। गंगा किनारे बसा यह सुंदर ग्राम पहले जहां सामान्य सा पहाड़ी गांव था, वहीं आज यह प्री-वेडिंग शूट के लिए देशभर के जोड़ों का पसंदीदा स्थल बन गया है। ग्राम पंचायत द्वारा शुरू की गई इस पहल से गांव को सालाना 15 से 20 लाख रुपये की आय हो रही है। स्थानीय युवाओं को राफ्टिंग, बोटिंग, लाइटिंग, ड्रेस और घोड़े जैसी सेवाओं में रोजगार मिल रहा है, जिससे पलायन पूरी तरह रुक गया है। इस मॉडल की खास बात है – स्थानीय संसाधनों का स्मार्ट उपयोग, जैसे जैविक कचरे से खाद और बायोगैस उत्पादन। इससे गांव पर्यावरण के प्रति सजग और स्वावलंबी बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार कहा है कि अगर गांव अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को पर्यटन और नवाचार से जोड़ें, तो देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिल सकती है। उन्होंने “Wed in India” और “Tourism in Mission Mode” जैसे अभियानों के माध्यम से युवाओं को इसी दिशा में काम करने का आह्वान किया है। त्रियुगीनारायण मंदिर इसका एक और उदाहरण है, जहां शिव-पार्वती विवाह स्थल को विवाह पर्यटन से जोड़ा गया, जिससे स्थानीय रोजगार और होमस्टे व्यवसाय को बढ़ावा मिला। सिरासू जैसा मॉडल यह दिखाता है कि जब गांव सोच बदलते हैं, तो वे मात्र खुद नहीं बदलते – वे देश की आर्थिक कहानी को भी दिशा देते हैं।