किसानों को लेकर सरकार की नियत पर अनेक लोग गाहे बगाहे सवाल उठाते रहते हैं। किसान आन्दोलन भी चलते हैं जिनका छिपा एजेंडा ही कुछ और होता है।वहीँ कुछ ऐसे किसान भी है जो बिना दिग्भ्रमित हुए भारत सरकार द्वारा किसान हितों में चल रही योजनाओं का लाभ लेकर अपना और अपने बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। इसी का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है उत्तर प्रदेश के शामली जनपद के किसानों ने। आपको बता दें कि कृषक सशक्तीकरण एवं सरंक्षण के अंतर्गत फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) बनाए गए।
जिले के गांव इस्सोपुर में भी कुछ किसानों ने टील फार्मर प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से एफपीओ बनाया। दो वर्षों में इस एफपीओ से 350 किसान जुड़ चुके हैं। ये किसान बासमती धान की 1121 प्रजाति अपने-अपने खेतों में तैयार करते हैं, और एफपीओ को समर्थन मूल्य से अधिक बेचते हैं। एफपीओ इन्हें खाड़ी देशों में निर्यात करता है। एफपीओ से जुड़े ये सभी किसान भाई स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति से मजबूत हो रहे हैं। गांव इस्सोपुर निवासी विरेंद्र सिंह ने एफपीओ का गठन किया।
इसमें पांच डायरेक्टर और पांच प्रमोटर बनाए गए। 2022 में किसानों का कलस्टर तैयार किया गया। पहले वर्ष इसमें 60-70 किसान जुड़े और बासमती धान तैयार किया। एफपीओ ने धान को खरीदा और संरक्षण कर प्रदेश सरकार के बहजोई निवासी एक्सपोर्टर के माध्यम से खाड़ी देशों में निर्यात कराया। खाड़ी देशों में शामली में उत्पादन होने वाले बासमती चावल की मांग भी बढ़ी और दुबई से एफपीओ को 900 कुंतल बासमती चावल का आर्डर मिला, जिसे एफपीओ ने पूर्ण कर तीन अन्य कंटेनर भेजे।
मोटा मुनाफा होने के साथ-साथ अब खाड़ी के अन्य देशों से भी एफपीओ को आर्डर मिलने शुरू हो चुके हैं। स्पष्ट है कि बदलते समय में नई नीतियों के चलते भारत के किसानों की तकदीर भी बदल रही है। जो किसान किसी के उकसावे और बहकावे में नहीं आकर अपनी समझ से निर्णय ले रहें हैं उनके लिए योजनाओं और प्रेरक संस्थाओं की कमी नहीं है। इस्सोपुर का एफपीओ इसका एक अच्छा उदाहरण है।