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शिमला में अवैध निर्माण और बिगड़ता आबादी संतुलन

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शिमला, हिमाचल प्रदेश.

प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद में अवैध निर्माण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. घटना रविवार 1 सितंबर की है, जब मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और अवैध निर्माण को गिराने की मांग करने लगे. विभिन्न संगठनों और स्थानीय लोगों ने मस्जिद का घेराव किया. सभी लोग यहां अवैध निर्माण को तुड़वाने की मांग को लेकर एकत्रित हुए थे. क्षेत्र के लोगों ने एकजुट होकर संजौली बाजार में विरोध मार्च किया.

दरअसल, मामले ने इसलिए तूल पकड़ा, क्योंकि शुक्रवार शाम मल्याणा में हिन्दू और मुसलमान समुदाय के कुछ लोगों के बीच लड़ाई हुई. आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने स्थानीय दुकानदार यशपाल सिंह को मारा और उसके सिर पर 14 टांके लगे. संजौली और आसपास के क्षेत्र के लोग यहां की बदलती डेमोग्राफी को लेकर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं.

1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से सलीम नाम का एक दर्जी रोज़गार की तलाश में शिमला आता है. शिमला के संजौली क्षेत्र में वह अपनी दर्जी की दुकान खोलता है. हिमाचल प्रदेश के लोग अपने शांत, स्नेहिल और भोले-भाले स्वभाव के लिए तो प्रसिद्ध हैं ही, सलीम ने भी इसी बात का फायदा उठाया और काम के प्रति उसकी लगन ने जल्द ही उसे क्षेत्र में लोकप्रिय बना दिया और लोग उसके ग्राहक बनने लगे.

हालांकि, कुछ वर्षों के बाद सलीम ने अपना असली रंग दिखाना शुरू किया. उसने सहारनपुर और आस-पास के क्षेत्रों से अपने परिचितों और समुदाय के लोगों को शिमला बुलाना शुरू कर दिया और उन्हें अलग-अलग कामों में लगा दिया. धीरे-धीरे वह मौलवी बन गया और आज सबसे बड़ा मौलवी बन बैठा है.

सलीम ने जमीन पर एक छोटी मस्जिद का निर्माण किया, लेकिन कुछ ही समय में मस्जिद का विस्तार करते हुए इसे पांच मंजिला भवन में बदल दिया. सलीम में अवैध निर्माण की इतनी हिम्मत कहां से आई, यह भी बहुत बड़ा जांच का विषय है. बिना सरकारी तंत्र के शहर में अवैध निर्माण आखिर हो कैसे गया, यह भी जांच का विषय है. फिलहाल यह अवैध निर्माण स्थानीय निवासियों के बीच चिंता का विषय बन गया है. यही वजह रही कि सभी संगठन एकजुट होकर अवैध निर्माण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

जनसंख्या असंतुलन

संजौली क्षेत्र में वर्तमान में 5,000 से अधिक बाहरी लोग निवास कर रहे हैं, जो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं. घटना ने शिमला के सामाजिक और जनसंख्या संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है. अवैध मस्जिद का विस्तार और जनसंख्या में हो रहे बदलाव ने इलाके की हर प्रकार की संरचना को प्रभावित किया है.

स्थानीय अधिकारियों और वक्फ बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. अवैध निर्माण और बाहरी लोगों की बढ़ती संख्या पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से स्थिति और बिगड़ती जा रही है.

राजधानी शिमला में अवैध मस्जिद निर्माण का मामला संजौली उपनगर तक सीमित नहीं है, बल्कि कुसुम्पटी क्षेत्र में भी एक अवैध मस्जिद के निर्माण की जानकारी सामने आई है. यह जानकारी नगर निगम शिमला के पूर्व उपमहापौर राकेश कुमार शर्मा ने दी, उन्होंने हाल ही में संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण के विरोध के दौरान यह खुलासा किया.

राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि 50-60 के दशक में वक्फ बोर्ड ने कुसुम्पटी में एक जमीन सद्दीक मोहम्मद नामक व्यक्ति को 99 वर्ष की लीज पर दी थी. यह जमीन सद्दीक मोहम्मद की पत्नी मुमताज बेगम के नाम पर थी, जो यहां अपने तीन बेटों अजीज मोहम्मद, अलीशेर और अलाउद्दीन के साथ रहती थी. अलाउद्दीन, जो एक प्रभावशाली पद पर था, ने इस जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण शुरू कर दिया.

स्थानीय लोगों ने अवैध निर्माण का विरोध किया, लेकिन अलाउद्दीन ने जमीन पर तिरपाल लगाकर इसे मस्जिद का रूप दे दिया और धीरे-धीरे इसके निर्माण कार्य को चालू रखा. जब मस्जिद का निर्माण पूरा हो गया, तो तत्कालीन वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वक्कामुल्ला ने मस्जिद का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से करवाना चाहा. हालांकि, स्थानीय लोगों के विरोध के चलते वीरभद्र सिंह ने उद्घाटन करने से मना कर दिया.

आज, कसुम्पटी चौक पर यह अवैध मस्जिद मौजूद है और हर शुक्रवार को विकासनगर, कुसुम्पटी, पंथाघाटी और आसपास के क्षेत्रों में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग यहां नमाज अता करने आते हैं. मस्जिद का निर्माण अवैध होने के बावजूद, प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

प्रशासन की उदासीनता पर सवाल

मामले में प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि शिमला जैसे शांतिपूर्ण क्षेत्र में इस तरह के अवैध निर्माण न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित कर सकते हैं.

यदि प्रशासन ने समय रहते इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं की, तो यह मुद्दा और बड़ा हो सकता है. मामले पर प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के अवैध निर्माणों पर रोक लग सके.