हमारे धार्मिक ग्रंथ और इतिहास इस बात के साक्षी हैं कि विश्व में शांति और समन्वित जीवन शैली की प्रेरणा यदि किसी धर्म से मिली है तो वह विश्व में एकमात्र धर्म है भारत का सनातन धर्म। क्योंकि भारतीय संस्कृति में पूरी दुनिया एक परिवार है। इसका प्रमाण है सनातन धर्म का उद्घोष वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश। जहां अनेक धर्मों के लोग आज पूरी दुनिया में साम्राज्यवादी और उपभोक्तावादी सोच के चलते एक दूसरे से लड़ रहे हैं। मानवता खतरे में है। वहीं इसके विपरीत भारत सबको शांति का संदेश दे रहा है। ऐसे में सनातनी धर्म और विचार की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। उपरोक्त विमर्श है सम्पर्क भारती की ओर से आयोजित सनातनी प्रोफेशनल्स कॉन्क्लेव का। जहां विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्ध लोगों ने अपने-अपने विचार रखे।
इसी क्रम में ऋषिकेश में संचालित परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन को समझने के लिए पहले स्व को समझना होगा। क्योंकि हम अपनी सभ्यता व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। इसमें टेक्नोलॉजी और मोबाइल की बड़ी भूमिका है। इसलिए संतुलित जीवन शैली और शांति के लिए पूरी दुनिया में सनातनी प्रोफेशनल्स का फैलाव जरूरी है। कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि सबसे जरूरी है खुद को समझना। इसके लिए समज जरूर समय निकालें।
वहीं कार्यक्रम में सनातनी परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान, मेजर जनरल (रिटा.) जीडी बक्शी व व अन्य वरिष्ठ लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि सनातनी प्रोफेशनल्स ही पूरी दुनिया में भारतीय सभ्यता व संस्कृति की अलख जगा सकते हैं।