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लखनऊ से मैहर के लिए ट्रेन सेवा शुरू, नवरात्र में लाखों श्रद्धालु करेंगे दर्शन

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लखनऊ/ मैहर 

लखनऊ से मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थल मैहर के लिए सीधी ट्रेन सेवा शुरू की गई है। यह सेवा उन श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी सुविधा है जो माँ शारदा देवी के दर्शन के लिए मैहर जाना चाहते हैं। मैहर शक्तिपीठ अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ हर साल बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।

ट्रेन सेवा, श्रद्धालु सेवा –

इस नई ट्रेन सेवा के शुरू होने से लखनऊ से मैहर के लिए सीधी कनेक्टिविटी हो गई है, जिससे यात्रियों को अब ट्रेन बदलने की आवश्यकता नहीं होगी। ट्रेन का शेड्यूल यात्रियों की सुविधानुसार तैयार किया गया है, ताकि उन्हें समय पर मैहर पहुँचने में आसानी हो।

यह ट्रेन सेवा विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो धार्मिक यात्राओं पर जाना पसंद करते हैं। इससे लखनऊ और आस-पास के क्षेत्रों के श्रद्धालु आसानी से माँ शारदा देवी के दर्शन कर सकेंगे।

यह सेवा यात्रियों का समय बचाएगी, क्योंकि अब उन्हें बीच में किसी अन्य स्टेशन पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लखनऊ के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से अधिक श्रद्धालु मैहर की यात्रा कर सकेंगे।

सरकार और रेलवे प्रशासन की यह पहल यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए की गई है, जिससे क्षेत्र के पर्यटन और धार्मिक यात्राओं को नई गति मिलेगी।

लखनऊ से मैहर के लिए चित्रकूट एक्सप्रेस (15205) नामक ट्रेन सेवा उपलब्ध है, जो प्रतिदिन चलती है। यह ट्रेन लखनऊ जंक्शन (LJN) से शाम 5:30 बजे प्रस्थान करती है और लगभग 9 घंटे 3 मिनट में मैहर पहुँचती है, जिसका आगमन समय रात 2:33 बजे होता है(

यह ट्रेन सेवा लखनऊ और मैहर के बीच लगभग 432 किलोमीटर की दूरी को कवर करती है। इस ट्रेन में स्लीपर क्लास, तृतीय एसी (3A), द्वितीय एसी (2A), और प्रथम एसी (1A) जैसी कई श्रेणियों में टिकट बुकिंग की जा सकती है। 

टिकट बुकिंग और लाइव ट्रेन स्टेटस की जानकारी के लिए आप IRCTC, RailYatri या अन्य रेलवे सेवा प्लेटफार्म का उपयोग कर सकते हैं।

मैहर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व काफी गहरा और ऐतिहासिक है। यह मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है और यहाँ माँ शारदा देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। माँ शारदा देवी को ज्ञान, संगीत और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है, और ऐसा माना जाता है कि यहां उनकी पूजा से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मैहर का प्रमुख धार्मिक महत्व:

शारदा देवी मंदिर: यह मंदिर 1063 सीढ़ियों की ऊंचाई पर स्थित है और भक्तों का विश्वास है कि यहाँ देवी शारदा का निवास स्थान है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माँ सती का हार गिरा था, जिससे इस स्थान को 'मैहर' कहा जाता है (जिसका मतलब है "माँ का हार")। खासकर नवरात्रि के समय यहाँ दर्शन करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।

धार्मिक शक्तिपीठ: शारदा माता का यह शक्तिपीठ अन्य शक्तिपीठों में से एक प्रमुख स्थान है। यह कहा जाता है कि यहाँ की देवी विशेष रूप से सिद्धियां प्रदान करती हैं और यह स्थान तंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

संस्कृति और संगीत: मैहर की पहचान न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी की जाती है। यह स्थान भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गुरु उस्ताद अल्लाउद्दीन खाँ साहब की कर्मभूमि भी है, जिन्होंने मैहर घराने की स्थापना की थी। उनके शिष्यों में पंडित रविशंकर और उस्ताद अली अकबर खाँ जैसे महान संगीतकार शामिल हैं।

आस्था का केंद्र: ऐसा माना जाता है कि माँ शारदा यहाँ आने वाले भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। यहाँ का वातावरण भक्तों को शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कराता है।इस तरह, मैहर न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी महत्त्वपूर्ण है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

लाखों भक्त करते हैं दर्शन -

नवरात्र के दौरान मैहर के शारदा देवी मंदिर में लाखों भक्त पहुंचते हैं। हर साल नवरात्रि के समय विशेष रूप से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और इस दौरान आने वाले भक्तों की संख्या 10 लाख से भी अधिक हो सकती है। नवरात्रि के नौ दिनों में यह स्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है।

विशेषकर चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान, यहाँ माँ शारदा के दर्शन के लिए पूरे देश से लोग आते हैं। इस समय मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम किए जाते हैं, जैसे कि भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा व्यवस्था और प्रसाद वितरण। भक्तों के लिए सीढ़ियों के अलावा रोपवे की भी सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे मंदिर तक पहुंचना आसान हो जाता है। इस प्रकार, नवरात्रि के दौरान मैहर का शारदा देवी मंदिर लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत करता है, और यह तीर्थस्थल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व का प्रतीक है।