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Mahakumbh 2025: डिजिटल कुम्भ में दिखेगी भारतीय संस्कृति की झलक

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प्रयागराज ।  

प्रयागराज में एक नया डिजिटल कुंभ म्यूजियम बनने की योजना है, जिसके लिए सरकार ने छह करोड़ रुपये जारी किए हैं। यह म्यूजियम कुंभ मेले की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को डिजिटल माध्यम से प्रदर्शित करेगा। इसमें आधुनिक तकनीक, जैसे वर्चुअल रियलिटी, 3D प्रोजेक्शन और इंटरएक्टिव डिस्प्ले का उपयोग किया जाएगा ताकि आगंतुकों को कुंभ मेला के महत्त्व और उसकी परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिल सके।

इस म्यूजियम का उद्देश्य कुंभ मेले के महात्म्य को संरक्षित करना और नई पीढ़ी को इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराना है।

प्रयागराज में प्रस्तावित डिजिटल कुंभ म्यूजियम का उद्देश्य कुंभ मेले की विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित और प्रदर्शित करना है। कुंभ मेला भारत का एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है, जो प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जैसे चार पवित्र शहरों में हर 12 साल में आयोजित होता है। इसे यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में भी शामिल किया गया है। ऐसे में डिजिटल कुंभ म्यूजियम इस आयोजन की महत्ता को नए रूप में प्रस्तुत करेगा।

म्यूजियम की विशेषताएं-

इस म्यूजियम में मुख्य रूप से डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिसमें इंटरएक्टिव डिस्प्ले, वर्चुअल रियलिटी (VR), और 3D प्रोजेक्शन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। इससे आगंतुकों को कुंभ मेले की एक आभासी यात्रा का अनुभव होगा।

म्यूजियम में कुंभ मेला का पूरा इतिहास, इसकी उत्पत्ति, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को विस्तार से प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें प्राचीन ग्रंथों, पुरातात्त्विक प्रमाणों, और ऐतिहासिक प्रमाणों के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।

कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम है। म्यूजियम में विभिन्न संतों और साधुओं की जीवन शैली, उनके योगदान, और आध्यात्मिकता से जुड़ी जानकारियाँ भी दी जाएंगी।

इसमें कुंभ मेले की तस्वीरों, पेंटिंग्स, और पुरानी मूर्तियों की डिजिटल प्रदर्शनी भी होगी। आगंतुक यहां पुराने कुंभ मेलों की झलक और उसमें हुए सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों की झलक देख सकेंगे।

वर्चुअल कुंभ यात्रा- 

म्यूजियम में वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से आगंतुक एक आभासी कुंभ यात्रा कर सकेंगे। वे इस अनुभव के जरिए कुंभ मेले की भीड़, गंगा स्नान, संतों की सभा, और धार्मिक अनुष्ठानों का अनुभव कर सकेंगे।

फ्यूचरिस्टिक डिजाइन-

इस म्यूजियम का डिज़ाइन आधुनिक और फ्यूचरिस्टिक होगा, जिसमें पर्यटकों के लिए आकर्षक और इंटरैक्टिव अनुभव देने की सुविधा होगी। नई पीढ़ी के लिए इसे रोचक और शिक्षा का साधन बनाने पर जोर दिया जाएगा।

सरकार की योजना और बजट-

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 6 करोड़ रुपये जारी किए हैं। यह राशि प्रारंभिक चरण के लिए है, जिसमें म्यूजियम के निर्माण, डिजाइनिंग और तकनीकी उपकरणों की स्थापना की जाएगी। उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन इस परियोजना का संचालन कर रहे हैं।

म्यूजियम का मुख्य उद्देश्य कुंभ मेला की अमूल्य धरोहर को संरक्षित करना और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संजोना है। प्रयागराज में यह म्यूजियम न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण होगा, बल्कि यह पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। यह म्यूजियम पूरे साल खुला रहेगा, जिससे आगंतुकों की संख्या में वृद्धि होगी।

म्यूजियम का एक और उद्देश्य छात्रों और शोधकर्ताओं को कुंभ मेला के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व पर अध्ययन करने के लिए एक केंद्र प्रदान करना है।

डिजिटल कुंभ म्यूजियम न केवल भारत के लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल बनेगा। यह प्रोजेक्ट प्रयागराज को एक वैश्विक स्तर पर धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का हब बनाने में मदद करेगा। 

कुल मिलाकर, यह म्यूजियम आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक धरोहर के समन्वय का एक अनूठा उदाहरण बनेगा, जो लोगों को कुंभ मेला की समृद्धि से जोड़ने में मदद करेगा ।

2025 में होगा महाकुंभ का आयोजन-

अगला महाकुंभ मेला प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में 2025 में आयोजित किया जाएगा। महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला है। यह मेला चार स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक - में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। 

महाकुंभ का आयोजन मकर संक्रांति से प्रारंभ होता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, और यह लगभग 48 दिनों तक चलता है। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, और पर्यटक गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं।

प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तारीखें और प्रमुख स्नान के दिन सरकार द्वारा घोषित किए जाएंगे, लेकिन मेला मकर संक्रांति (14-15 जनवरी 2025) से शुरू होने की संभावना है।