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संभल में प्राचीन धरोहरों का खजाना: राम-जानकी के सिक्के, वीर बुंदेला आल्हा-ऊदल के गुरु की समाधि और सबसे बड़ा कुआँ मिला

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- अमरपति खेड़ा, जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समकालीन और वीर बुंदेला योद्धा आल्हा-ऊदल के गुरु माने जाते हैं, की समाधि के पास खुदाई में यह ऐतिहासिक खोज हुई

- इन सिक्कों पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की आकृतियाँ उकेरी गई हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य डिज़ाइन वाले सिक्के और बर्तन भी मिले हैं

संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में प्राचीन धरोहरों की खोज लगातार नई कहानियाँ लिख रही है। हाल ही में अमरपति खेड़ा की समाधि के पास खुदाई के दौरान भगवान राम, माता जानकी और भ्राता लक्ष्मण की आकृतियों वाले करीब 400 सिक्के मिले हैं। इसके साथ ही जिले के सरायतरीन इलाके में अब तक का सबसे बड़ा कुआँ खोजा गया है। यह कुआँ लगभग 70 फीट गहरा है और इसका पुराना स्वरूप बहाल किया गया है।  

राम दरबार वाले सिक्के और प्राचीन धरोहरें मिलीं -

अमरपति खेड़ा, जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समकालीन और वीर बुंदेला योद्धा अल्हा-ऊदल के गुरु माने जाते हैं, की समाधि के पास खुदाई में यह ऐतिहासिक खोज हुई। इन सिक्कों पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की आकृतियाँ उकेरी गई हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य डिज़ाइन वाले सिक्के और बर्तन भी मिले हैं। सिक्कों की संख्या लगभग 300-400 है। इनकी धातु का परीक्षण अभी जारी है। प्रशासन ने इन सिक्कों को अपने संरक्षण में ले लिया है।  

सरायतरीन में मिला सबसे बड़ा कुआँ -

सरायतरीन इलाके में प्रशासन को अब तक का सबसे बड़ा कुआँ मिला है। यह कुआँ जामा मस्जिद से मात्र 50 मीटर की दूरी पर स्थित है। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि इस इलाके को "दरबार" कहा जाता था और यहाँ टोंक के नवाब का दरबार लगता था। डीएम और एसडीएम के निरीक्षण के बाद इस कुएँ की खुदाई शुरू हुई। यह कुआँ 70 फीट गहरा है और प्रशासन इसे एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित कर रहा है।  

41 तीर्थ और 19 कुओं की खोज -

संभल जिले में प्रशासन ने अब तक 87 प्राचीन तीर्थों में से 41 को खोज निकाला है। इसके अलावा, सभी 19 प्राचीन कुओं को भी खोजकर उनका जीर्णोद्धार शुरू किया गया है। कई स्थानों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीमों ने सर्वे किया है और इन स्थलों के ऐतिहासिक महत्व का आकलन किया जा रहा है।  

धरोहरों को सहेजने की दिशा में बड़े कदम -

प्रशासन के प्रयासों से इन प्राचीन स्थलों और धरोहरों को संरक्षित करने का काम तेजी से चल रहा है। डीएम ने कहा कि यह खोजें इतिहास और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी। अमरपति खेड़ा और सरायतरीन में मिले धरोहरों को राज्य के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किया जाएगा।  

संभल में प्राचीन धरोहरों की यह खोजें न केवल ऐतिहासिक महत्व को उजागर करती हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के गौरव को भी रेखांकित करती हैं।