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यूपी में विभाजन के समय आए हिंदू और सिख शरणार्थियों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक, सर्वे शुरू

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- 1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए करीब 10,000 हिंदू और सिख परिवारों को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी, रामपुर, बिजनौर और पीलीभीत जिलों में बसाया गया था

- उत्तर प्रदेश सरकार अब इन्हें जमीन पर संक्रमणीय भूमिधर अधिकार प्रदान करने पर विचार कर रही है। इससे ये परिवार अपनी जमीनों के असली मालिक बन सकेंगे

लखनऊ। पाकिस्तान से भारत विभाजन के समय आए हिंदू और सिख शरणार्थियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। उत्तर प्रदेश सरकार अब इन्हें जमीन पर संक्रमणीय भूमिधर अधिकार प्रदान करने पर विचार कर रही है। इससे ये परिवार अपनी जमीनों के असली मालिक बन सकेंगे और उन्हें बेचने या अन्य उपयोग के अधिकार मिल सकेंगे।  

10,000 परिवारों को होगा फायदा -

1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए करीब 10,000 हिंदू और सिख परिवारों को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी, रामपुर, बिजनौर और पीलीभीत जिलों में बसाया गया था। सरकार ने उस समय इन्हें खेती के लिए जमीनें दी थीं। हालांकि, इन परिवारों को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार नहीं दिया गया था। इस कारण वे अपनी जमीन को बेचने या उस पर अन्य वित्तीय लाभ लेने में सक्षम नहीं थे।  

कमेटी कर रही है सर्वेक्षण -

शरणार्थियों की इस मांग पर विचार करते हुए सरकार ने मुरादाबाद के कमिश्नर अंजनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी शरणार्थियों की जमीनों का सर्वेक्षण कर रही है और उनकी स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर रही है। इस प्रक्रिया में शरणार्थियों के भारत आगमन, जमीन के स्वामित्व और उनके वर्तमान अधिकारों की जांच की जा रही है।  

कमेटी के सदस्य सचिव लखीमपुर के एडीएम हैं। अब तक बिजनौर और अन्य जिलों से आई रिपोर्ट में कुछ खामियां पाई गई हैं, जिन्हें सुधारकर दोबारा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।  

उत्तराखंड का मॉडल अपनाने की तैयारी -

शासन ने उत्तराखंड के उदाहरण का भी अध्ययन किया है, जहाँ विभाजन के समय आए शरणार्थियों को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिया गया है। यह अधिकार तब भी दिया गया था, जब उत्तराखंड यूपी का हिस्सा था, और अलग राज्य बनने के बाद भी यह प्रक्रिया जारी रही। यूपी में भी इसी मॉडल को अपनाने पर विचार किया जा रहा है।  

मुस्लिम शरणार्थियों की जांच भी जारी -

इस प्रक्रिया में यह तथ्य सामने आया है कि विभाजन के समय पाकिस्तान से कुछ मुस्लिम परिवार भी रामपुर में आकर बसे थे। उनके भारत आने के कारणों की पड़ताल की जा रही है।  

शरणार्थियों के लिए उम्मीदें बढ़ीं -

अगर संक्रमणीय भूमिधर अधिकार मिल जाता है, तो शरणार्थियों के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा। वे अपनी जमीन पर न केवल आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ा सकेंगे, बल्कि अपनी संपत्ति के पूर्ण मालिक भी बन सकेंगे। सरकार के इस कदम से इन परिवारों को दशकों बाद राहत मिलने की उम्मीद है। अब सभी की निगाहें कमेटी की अंतिम रिपोर्ट और सरकार के निर्णय पर टिकी हैं।