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तीन तलाक : मजहबी कट्टर सोच से प्रताड़ित हैं मुस्लिम महिलायें

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  • जौनपुर की मरियम और तीन तलाक का कलंक
  • तीन तलाक पर कानून के बाद भी नहीं थम रही जुबानी तलाक की यह मजहबी कट्टरता?

जौनपुर, उत्तर प्रदेश : कट्टरता केवल  विचार नहीं होती। यह एक जहर है जो मजहब के नाम पर मुस्लिम महिलाओं का जीवन, आत्मसम्मान और अधिकार कुचल रहा है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मरियम नाम की एक महिला के साथ जो कुछ हुआ, वह सिर्फ पारिवारिक हिंसा नहीं, अपितु उस मजहबी कट्टर मानसिकता का नग्न प्रदर्शन है जो आज भी मुस्लिम महिलाओं को इंसान नहीं, संपत्ति मानती है। तीन तलाक पर कानूनी प्रतिबंध के बावजूद, आज भी मौखिक तलाक देकर मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित  किया जा रहा है। मरियम के गर्भ में बच्चा पल रहा था, लेकिन पति नसीम ने न तो उसकी ममता का संकोच किया, न ही कानून का डर। उसे पीटा, गर्भपात कराने की कोशिश की गई, और अंततः मोहल्ले के सामने तीन तलाक देकर छोड़ दिया गया।

कानून से बड़ी कट्टर सोच?

साल 2019 में तीन तलाक को दंडनीय अपराध घोषित किया गया था। लेकिन मुस्लिम समाज के एक बड़े वर्ग में आज भी इसकी कोई परवाह नहीं है। इस सोच के लिए न संविधान मायने रखता है, न न्याय। उनके लिए बस मजहबी प्रभुता ही सर्वोपरि है। मरियम की पीड़ा केवल एक घटना नहीं, यह हर उस मुस्लीम महिला की आवाज है जिसे दहेज, पर्दा, निकाह और तलाक के नाम पर कुचला गया। यह कट्टरता तब और भी खतरनाक हो जाती है जब उसे सामाजिक चुप्पी का समर्थन मिलता है। मोहल्ले के सामने मरियम को अपमानित किया गया, लेकिन कितनों ने प्रश्न उठाया? आखिर कब तक इन मजहबियों की कट्टरवादी सोच मुस्लिम महिलाओं के जीवन और न्याय के अधिकार से ऊपर मानी जाएगी? मजहबी कट्टरता का असली जवाब प्रबुद्धता है।