देहरादून
अब उत्तराखण्ड में कोई भी ठेली या फैरी लगाने वाला अपनी पहचान छिपाकर काम नहीं कर पाएगा। जी हां शहरी विकास विभाग सभी वेंडर्स का सर्वे कर रहा है और उन्हें एक क्यूआर कोड दिया जाएगा। यह क्यूआर कोड हर वेंडर को अपने ठेले पर लगाना अनिवार्य होगा। वहीं क्यूआर कोड स्कैन करने पर वेंडर का नाम, स्थायी पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, राशन कार्ड सहित पूरी जानकारी तुरंत मिल जाएगी। इससे वेंडर्स की पहचान स्पष्ट रहेगी और किसी भी गलतफहमी या विवाद की स्थिति में उन्हें आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा। बतातें चले कि पहचान छिपाकर व्यवसाय चलाने से कई बार विवाद हुए हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार ने वेंडर्स का डिजिटल सर्वे कराने का निर्णय लिया है।
सर्वे कैसे होगा?
-प्रत्येक नगर निकाय की टीम मोबाइल एप से वेंडर्स की जानकारी भरेगी।
-एप स्वंय से लोकेशन कैप्चर करेगा कि ठेला कहां लगाया जाता है।
-आधार नंबर डालते ही उसकी ऑनलाइन वेरिफिकेशन होगी।
-वेंडर की फोटो वहीं मोबाइल से ली जाएगी और राशन कार्ड, पता, मोबाइल नंबर दर्ज होंगे।
-सारी जानकारी तुरंत सुरक्षित क्लाउड सर्वर पर सेव हो जाएगी।
-हर वेंडर को एक यूनिक वेंडर आईडी मिलेगी।
-इसी वेंडर आईडी के आधार पर उसका क्यूआर कोड जेनरेट होगा।
-यह क्यूआर कोड ठेले पर लगाना अनिवार्य होगा।



