भारत और फिजी
के बीच वीजा में छूट देने पर सहमति बनी है। फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन
में शिरकत करने गए भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और फिजी के प्रधानमंत्री
सिटिवेनी राबुका ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने दोनों देशों का सहयोग और
बढ़ाने की बात कही। फिजी के प्रधानमंत्री के साथ समझौते पर हस्ताक्षर के बाद दोनों
देशों के बीच वीजा में छूट की राह खुल गई। इस समझौते के तहत दोनों देशों के उन
नागरिकों को वीजा लेने में छूट दी जाएगी, जिनके पास डिप्लोमेटिक और काम संबंधी पासपोर्ट है। इससे फिजी जाने वाले
भारतीयों की तादाद में इजाफा हो सकता है। यह समझौता दोनों देशों के नागरिकों के
बीच पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
समझौते के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और फिजी
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तौर पर बेहद करीबी देश हैं। भारत और फिजी के लोगों का आपस
में संबंध है और दोनों देशों के बीच संबंध काफी पुराने भी हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे
राष्ट्र निर्माण वाले क्षेत्रों में फिजी की मदद करना भारत के लिए खुशी की बात है।
भारत ने फिजी के गन्ना उद्योग में काम किया है। अब भारत की ओर से अक्षय ऊर्जा और
छोटे और मध्यम उद्योगों को आईटी सपोर्ट मुहैया कराने पर भी विचार किया जा रहा है।
फिजी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील इलाका है और भारत हमेशा फिजी के मुश्किल
समय में उसके साथ खड़ा रहा है। कोरोना जैसे समय में भारत ने फिजी की मदद की और
वैक्सीन मैत्री के तहत फिजी को एक लाख वैक्सीन की डोज भेजी गई थी।
फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका ने भारतीय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार की 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का फिजी में सह-आयोजन करने के लिए
प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से फिजी का खास दोस्त और विश्वसनीय सहयोगी
रहा है। दोनों देशों ने मजबूत साझेदारी विकसित की है, जिसमें राष्ट्र निर्माण
के सभी क्षेत्र शामिल हैं। भारत हमेशा जरूरत के वक्त फिजी के साथ खड़ा रहा है।
फिजी सौभाग्यशाली है कि कोरोना महामारी संकट के दौरान भारत ने वैक्सीन की मदद दी।
फिजी के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ
हुई सकारात्मक बातचीत से दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों
में सहयोग बढ़ेगा।