उत्तराखण्ड के हवालबाग विकास
खंड के सैनार गांव में महिलाओं को पिरुल से कोयला बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा
है. उत्तराखंड के जंगलों में चीड़ के पेड़ की पत्तियां बहुत अधिक पाई जाती हैं। जिन्हें
पिरुल कहा जाता है। यह पत्तियां बहुत ज्वलनशील होती हैं। आग की एक छोटी सी चिंगारी
लगने पर आग पकड़ लेती हैं। जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण इसे ही माना जाता है।
जंगलों की आग पर अंकुश लगाने एवं महिलाओं की आय के स्रोत को बढ़ाने के उद्देश्य से जिला
मिशन प्रबंधन इकाई की ओर से महिलाओं को इस पिरुल से कोयला बनाना सिखाया जा रहा है, जो ईधन के रुप में प्रयोग किया जाएगा।
प्रशिक्षण लेने के बाद ये महिलाएं कोयला बनाने का कार्य
करेंगी। इसके विपणन से इनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। 19 मार्च तक चले इस प्रशिक्षण
में 31 महिलाओं को पिरुल से कोयला बनाया जाना सिखाया गया। प्रशिक्षण के बाद यह
महिलाएं महिलाओं की ओर से बनाए जा रहे इस कोयले के विपणन के लिए विभिन्न संस्थानों
से संपर्क भी किया जा रहा है। इससे एक ओर जहां महिलाओं की आय बढ़ेगी, वहीं, दूसरी ओर वनाग्नि पर भी
अंकुश लगाने में सहायता होगी।