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योगी सरकार का गो-संरक्षण मॉडल बना मिसाल, 16 लाख से अधिक गोवंश की सेवा और 7000 से अधिक गो-आश्रय स्थलों की स्थापना

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योगी सरकार का गो-संरक्षण मॉडल बना मिसाल, 16 लाख से अधिक गोवंश की सेवा और 7000 से अधिक गो-आश्रय स्थलों की स्थापना

- अब तक राज्य में कुल 7713 गो-आश्रय स्थलों की स्थापना की जा चुकी है, जिनमें 16,09,557 बेसहारा गोवंश का संरक्षण किया गया है। यह आंकड़ा सरकार की गोमाता के प्रति संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता का परिचायक है।

- मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अंतर्गत 2,37,369 गोवंश इच्छुक किसानों व पशुपालकों को सौंपे गए हैं। इससे न केवल गोवंश का संरक्षण सुनिश्चित हुआ, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गो-संरक्षण के क्षेत्र में किए गए ऐतिहासिक प्रयासों ने न केवल प्रदेश को एक नई पहचान दी है, बल्कि पूरे देश में एक आदर्श मॉडल के रूप में उभरे हैं। वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसहारा गोवंश की देखरेख को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, जिसके नतीजे आज स्पष्ट रूप से सामने हैं।

अब तक राज्य में कुल 7713 गो-आश्रय स्थलों की स्थापना की जा चुकी है, जिनमें 16,09,557 बेसहारा गोवंश का संरक्षण किया गया है। यह आंकड़ा सरकार की गोमाता के प्रति संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता का परिचायक है।

किसानों और पशुपालकों को भी मिला लाभ

मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अंतर्गत 2,37,369 गोवंश इच्छुक किसानों व पशुपालकों को सौंपे गए हैं। इससे न केवल गोवंश का संरक्षण सुनिश्चित हुआ, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली। पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह योजना एक बड़ी पहल साबित हुई है।

पशु स्वास्थ्य की दिशा में व्यापक कदम

योगी सरकार ने गोवंश के स्वास्थ्य की सुरक्षा को भी गंभीरता से लिया है। राज्य में अब तक 14 करोड़ 50 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है, जिसमें लम्पी रोग से बचाव के लिए 1 करोड़ 92 लाख पशुओं को विशेष वैक्सीन दी गई है। इसके अलावा, टोल-फ्री नंबर 1962 के माध्यम से निःशुल्क पशु चिकित्सा सहायता भी सुलभ कराई गई है, जिससे पशुपालकों को तत्काल सहायता मिल रही है।

योजनाओं से ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा

सरकार ने गो-संरक्षण को सामाजिक अभियान बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चलाई हैं। मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना और स्वदेशी गौवंश संवर्धन योजना जैसी पहलों ने पशुपालकों के लिए नई दिशा तय की है। साथ ही, नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत डेयरी स्थापना के लिए 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है।

गो-आश्रय स्थलों को आर्थिक रूप से सशक्त करने हेतु DBT प्रणाली के माध्यम से प्रति गोवंश 50 रुपये प्रतिदिन (1500 रुपये मासिक) की धनराशि सीधे ट्रांसफर की जा रही है। इससे गोवंश की समुचित देखभाल संभव हुई है। योगी सरकार की ये योजनाएं न सिर्फ गोवंश संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सिद्ध हो रही हैं, बल्कि दुग्ध उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति प्रदान कर रही हैं। यह मॉडल अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है और कई राज्य इसकी तर्ज पर योजनाएं लागू करने की दिशा में विचार कर रहे हैं।