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युवाओं टीम ने मद्महेश्वर घाटी में 78 किमी लंबा ट्रैकिंग रूट खोजा

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पाँच युवाओं की एक टीम ने मद्महेश्वर घाटी में 78 किमी लंबा नया ट्रैकिंग रूट खोजा है। इस अभियान की शुरुआत 20 सितंबर को चोपता से हुई, जहां उन्होंने पहले दिन 3 किमी की दूरी तय करके मर्तोली में रात बिताई। अगले दिनों में, उन्होंने चित्रा वडियार, दवा मरूड़ा, और खमदीर जैसे स्थानों तक यात्रा की, कई कठिनाइयों का सामना करते हुए इस रूट को खोज निकाला। इस ट्रैकिंग के दौरान उन्होंने डिजिटल मानचित्र तैयार किए, जो आगे के ट्रेकर्स के लिए सहायक होंगे।

युवाओं ने प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करते हुए कई जलाशयों और ग्लेशियर्स का सामना किया। उनका लक्ष्य स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना और हिमालयी क्षेत्रों में नए ट्रैकिंग डेस्टिनेशन स्थापित करना है। उन्होंने बताया कि इस रूट की जानकारी वन विभाग और पर्यटन विभाग को दी जाएगी, ताकि इसके विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। इस नई खोज ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की उम्मीदें जगाई हैं, और यह क्षेत्र के ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन सकता है।

ट्रैकिंग का विवरण:

यात्रा का पहला दिन: 20 सितंबर को चोपता से मर्तोली तक।

दूसरा दिन: मर्तोली से सुबह 6 बजे निकलकर चित्रा वडियार के लिए 15 किमी की दूरी तय की।

तीसरा और चौथा दिन: दवा मरूड़ा से अजय पास तक पहुंचे, जहां उन्होंने कई पहाड़ी क्षेत्रों और चट्टानी इलाकों का सामना किया।

डिजिटल मानचित्र निर्माण:

युवाओं ने इस ट्रैक के दौरान डिजिटल मानचित्र तैयार किए, जिसमें ट्रैकिंग रूट के प्रत्येक बिंदु का विवरण शामिल है। यह मानचित्र ट्रैकर्स के लिए सहायक होगा और इसे वन विभाग और पर्यटन विभाग को रिपोर्ट किया जाएगा, ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

महत्व:

इस ट्रैक की खोज स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने की उम्मीदें जगाती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। पिछले वर्ष, इन युवाओं ने 'शिव सरोवर' नामक एक झील की भी खोज की थी, जो उनके पिछले सफल प्रयासों का प्रमाण है।

मद्महेश्वर घाटी का महत्व -

प्राकृतिक सौंदर्य:

मद्महेश्वर घाटी की खूबसूरती अद्वितीय है, जहाँ आप हरे-भरे जंगल, बर्फ से ढके पहाड़, और गहरी घाटियों का आनंद ले सकते हैं। यह क्षेत्र ट्रैकिंग, हाइकिंग और अन्य साहसिक गतिविधियों के लिए लोकप्रिय है।

धार्मिक महत्व:

मद्महेश्वर, भगवान शिव के एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ स्थित मंदिर और धार्मिक स्थल यात्रियों को आकर्षित करते हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बनाते हैं।

पारिस्थितिकी और जैव विविधता:

- इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो इसे पारिस्थितिकी दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए एक प्राकृतिक आवास प्रदान करता है।

स्थानीय संस्कृति:

- यहाँ की स्थानीय संस्कृति और परंपराएँ भी इस क्षेत्र को खास बनाती हैं। स्थानीय लोग अपनी पारंपरिक कला, संगीत और खान-पान के लिए प्रसिद्ध हैं, जो पर्यटकों को  यहाँ आने के लिए प्रेरित करते हैं।

आर्थिक विकास:

- पर्यटन के माध्यम से, मद्महेश्वर घाटी स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करती है। नए ट्रैकिंग रूट के माध्यम से अधिक पर्यटकों के आने की संभावना है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ होगा